कर्ज माफी के नाम पे सत्तासीन हुई कांग्रेस क्या हार जायेगी अपनो से ही

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*कर्ज माफी के नाम पे सत्तासीन हुई कांग्रेस क्या हार जायेगी अपनो से ही*

*(सोहन काग अजन्दा)*✍🏻
Sohankag@gmail.com

*मनावर क्या कर्ज माफी के नाम पर सत्ता में लौटी कांग्रेस क्या अपना वादा निभाने से पहले ही हो जाएगी धराशायी यह तो आने वाले लम्हे ही तय कर पाएंगे।लेकिन जिस तरह से पद के लोभी संघटन से मुह मोड़ रहे है उसे देखते हुये मुख्यमंत्री कमल नाथ जी की मुश्किले रुकने का नाम ही नही ले रही है।एक तरफ प्रदेशवासियों को शिव मामा से बढ़ के अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना है तो दूसरी तरफ़ करनी है 2019 में मोदी जी से भिड़ने की तैयारी।*
*लेकिन क्या घर का हारा योद्धा लड़ पायेगा विरोधियो से जंग।*
*मंत्रिमंडल के गठन के बाद खुद के ही विघ्न संतोषी विधायको की मंत्री बनने की चाह कहे या गुटीय मंत्री मंडल के बटवारे का विरोध ? या फिर गलत टिकिट वितरण की गुटीय जिद्द का नतीजा कारण कही और आनेक है।*
*लेकिन प्रदेश के मुखिया को किनारे पे ला के डुबोने के लिये पर्याप्त है।*
*तभी तो पार्टी के विधायक ही सरकार को गिराने में नही छोड़ रहे कोई कोर कसर बाकी।*
*एक तरफ मनावर से कांग्रेस के बैनर तले अचानक प्रकट हुये जय आदिवासी युवा संगठन के डॉ हीरा अलावा को जयस से टिकट देकर आदिवासी संगटन को साधने की कला बाजी हुई तो वही संघटन के सामाजिक मृग तृणा से विजेता को अब मंत्री पद की चाह सता रही है।तो वही दुसरी ओर विरासत में मिली राजनीतिक घराने के बदनावर से तीसरी बार विधायक बने उच्च शिक्षित बदनावर विधायक श्री राजवर्धन सिंह दत्ती गांव जी को अन देखा कर गुटीय अमृत घुटी पिलाने वालो को श्री दात्तीगांव की भाषा शैली दे रही पार्टी को धरासाई करने की मार्मिक विरोधाभास का इशारा जिससे अल्पमत की सरकार के खम्भ कभी भी दरकते देखे जा सकते है। क्योकी एक विस्थापित नेताजी श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के करीबी विधायक दात्तीगांव जी के कार्यकर्ताओं का यु भोपाल पहुंच के दहाड़ना सिंधिया गुट के लिये नये समीकरणों को जन्म दे रहा है।जो प्रदेश कांग्रेस के लिये घातक हो सकता है।राजवर्धन सिंह दत्ती गांव ने बदनावर पहुंच के कार्यकर्ताओ को कहा की मेरे पिता तो आपको मुझे दान में दे गए थे और बाप का कहा बेटा कैसे टाल सकता है मै टालूंगा भी नही वे भी यही मरे में भी यही मरूंगा।लेकिन वह शब्द मुझे याद है जो मैंने चुनाव में अपनी सभाओं में कहे हैं। उपकार करते थे मगर अपना हक नहीं छोड़ते प्रश्न यह नहीं है की राजवर्धन सिंह दत्ती गांव विधायक बनेगा कि नहीं बनेगा।*
*आपने तो मुझे बचपन में ही विधायक बना दिया था हर सभा में मैंने यह कहा था बड़े नेता क्या कह गए बड़े नेता जाने लेकिन मैं अपनी जबान नहीं छोड़ता मैं थूक के नहीं चाटता मेरे खून में दोगलापन नही ना लालच मेरे पूर्वजों ने सर्वस्व मिटा दिया देश के लिये मर मिटे हमने राज छोड़ दिए सन 1890 में 35 हज़ार कलदार आते थे हमारे परिवार के पास।बख्तावर सिंह जी फांसी पर झूल गए नो सगे भाई थे दत्तीगांव जी के मेरे परदादा को देश निकाला हुआ क्यों क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों का साथ नहीं दिया जोधपुर में जाकर मरे वह।*
*मेरे पिताजी ने आजीवन कांग्रेस की सेवा की आप सब की।बात यह नहीं है कि दत्तीगांव को क्या मिला या क्या ना मिला।*
*अपमान यह है बदनावर के 84हजार 499 मतदाताओं को क्या मिला सभी पूछ रहे थे क्यों नहीं बनाया गया आपको मंत्री मैं भी यही सोच रहा हूं आखिर क्यों नही बनाया?अभी तक कुछ बातें मेरे दिमाग में आई की शायद इसलिए नहीं बनाया होगा की मैं किसी पूर्व मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री का बेटा नहीं था।जैसे उमंग सिंगार भतीजे हैं पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी जी के,सचिन यादव बेटे है पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव जी के,जयवर्धन सिंह बेटे है पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के के,हनी बघेल बेटे है पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप बघेल के,मेरे पिताजी साधारण कांग्रेस के कार्यकर्ता थे जो संघर्ष करते जीते मरते चले गए शायद यह दोष था हमारा की हमारा परिवार मर मिटा पार्टी के लिए , देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये शायद यह दोष था हमारा इमानदारी से हमने काम किया।*

*लेकिन हार का तो सवाल ही नहीं मैं सहमत हूं आपकी बात से।*
*जुलूस तो तभी निकलेगा जो आपका हक है वह आप को मिलना चाहिए मिलेगा भी आप की सब की भावना के अनुसार एहसान है महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया जी का उन्होंने टिकट दिलाया मुझे एहसान बाकी नहीं रखना है किसी का यह मेरे पिता जी कह गए थे कि तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।*
*इसलिये आप में से किसी को भी इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है राजवर्धन सिंह दत्तीगांव अपना इस्तीफा लिखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के घर पर रख आएगा।सेनापति पहले मरता है सेना को खरोच नहीं आने देता है गिरेगा तो मेरा लहू गिरेगा यह मेरा कर्तव्य है लानत है मेरे खून पर मेरी रगों में बख्तावर सिंह जी का और प्रेम सिंह जी का खून है ओर हमारा खून दोगला नहीं है।* *क्यों खरोच आने दु मैं आपको क्यों कटने दूं में एक हाथ , क्यों कटने दु एक पैर , मैं मर गया हूं क्या।पहली गोली सेनापति खाता है इस्तीफा जाएगा तो किसी का नहीं राजवर्धनसिंह का जाएगा क्या रखा है विधायकी में क्या रखा है सत्ता में।*

*बात सही और गलत की है जब मैं खुद के साथ न्याय न कर सका तो आपके साथ क्या न्याय करूंगा।*

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