बन रहा हिन्दी प्रसार के लिए सूचना तंत्र, हिन्दी आन्दोलन को मिलेगा बल

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बन रहा हिन्दी प्रसार के लिए सूचना तंत्र, हिन्दी आन्दोलन को मिलेगा बल

#राजनैतिक दलों के आई टी सेल की तरह हिन्दी के लिए काम करेगा सूचना प्रौद्योगिकी प्रकल्प

इंदौर । मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए किए जा रहे आन्दोलन को गति देने व हिन्दी सूचना तकनीक को मजबूत कर हिन्दी प्रचार को बल देने के लिए संगणक योद्धा तैयार करना आरंभ कर दिया गया है।
संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने कहा कि प्रत्येक संगणक योद्धा हिन्दी युग की स्थापना के लिए एक सिपाही की तरह कार्य करेगा और संगठन रूपी गढ़ की सुरक्षा का दायित्व लेगा।
उन्होंने कहा कि आज 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है तथा युवाओं में सोशल मीडिया अत्यंत लोकप्रिय है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हिन्दी के प्रचार के लिए भी सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। इसके तहत सटीक और प्रामाणिक तथ्यों के माध्यम से हिन्दी के प्रचार की विविध युक्तियों का उपयोग किया जाएगा । साथ ही, भाषा की वैज्ञानिक और बाजारमूलक छवि को बनाने का भी प्रयास होगा जिससे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के प्रयासों को बल मिलेगा ।

प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक कमलेश कमल का दायित्व होगा – हिन्दी के बारे में सटीक, शोधपरक और प्रामाणिक तथ्यों को जनमानस के बीच पहुँचाने के लिए संगणक योद्धाओं को तैयार करना तथा हिन्दी के मानक शब्दों और उनके प्रयोग के बारे में जानकारी प्रसारित करना ।

इस प्रकोष्ठ से जुड़े मृदुल जोशी, प्रणीता सिंह, प्रभात पटेल, अतुल पाण्डेय, डॉ.नीना जोशी, दीन दयाल तिवारी, आदि का कार्य होगा : तथ्यों और तकनीकी दक्षता के साथ हिन्दी के बारे में आधार बनाना और जनता को हिन्दी की महत्ता से अवगत कराना। इसके साथ ही, ये सभी यह भी तय करेंगे कि हिंदी से जुड़े किन विषयों और विचारों का समावेश करना है तथा मीडिया और सोशल मीडिया में किस तरह प्रसारित करना है।

सक्रियता से संभव है परिवर्तन
संस्थान द्वारा भारत के प्रत्येक राज्य में संगणक योद्धाओं का दल तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में इस प्रकल्प में प्रत्येक राज्यों से लोग जुड़ रहें है, और 500 से अधिक लोग बतौर संगणक योद्धा कार्य करना आरंभ भी कर चुके हैं।

स्पष्ट है कि इस प्रकल्प का उद्देश्य राजनैतिक दलों की तर्ज पर हिन्दी भाषा के लिए विश्व में पहली बार जनजागृति और हिन्दी के वैज्ञानिक और तथ्यात्मक आधार का प्रचार करना है। इसके अलावा, राजनीतिक दलों के आईटी सेल की तर्ज पर हिंदी से जुड़ीं बातें प्रचारित करना, जनता को जागरुक करना भी इस प्रकोष्ठ का कार्य है ; जिससे हिंदी को वह सम्मान मिल सके जिसकी वह अधिकारिणी है। ऐसे कार्य में सूचना तकनीकी की महती भूमिका को भी ध्यान में रखना है। हिन्दी के सम्मान में हर भारतीय को मैदान में उतार कर हिन्दी भाषा को जनभाषा बनाने के लिए कार्य करना ही सर्वोपरि है।

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