अपने संकल्पों पर जो अडिग रहता है वह निश्चित ही उच्च पद को प्राप्त करता हैं : मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज

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(सन्दीप अग्रवाल)

हरदा ‌(टिमरनी)। जो भी प्राणी अपने संकल्पों ओर नियमों पर अडिग रहता है वो निश्चित ही उच्च पद को प्राप्त करता है। भगवान महावीर स्वामी ने अपने पूर्व भव में लिए एक नियम का दृढ़ता से पालन किया तो अगले भव में मोक्ष प्राप्त होकर तीर्थंकर बने। उक्त उद्बोधन मुनि श्री 108 निर्णय सागर जी महाराज ने टिमरनी नगर में चल रहे श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ के तीसरे दिन आयोजन स्थल अमृतश्री कॉलेज परिसर में श्रावकों को संबोधित करते हुए कहें।
मुनिश्री ने कहा कि वर्तमान परिवेश में संस्कारों का अत्यधिक महत्व बढ़ गया है । परिवार से मिले संस्कार मानव को सदकार्यों के लिए प्रेरित करते हैं । पारिवारिक संस्कार हमें गलत दिशा में जाने से रोकते हैं इसीलिए परिवार को प्रथम पाठशाला कहा जाता है । परिवार में गर्भकाल के समय से ही संस्कार देने की परंपरा के चलते ही बच्चों में शालीनता और उच्च स्तरीय मानसिकता का विकास होता है ।


उल्लेखनीय की टिमरनी नगर में पाषाण निर्मित जिनालय एवं भगवान श्रीपारसनाथ की बेदी प्रतिष्ठा एवं प्राण प्रतिष्ठा को लेकर नगर में जैन समाज द्वारा साथ दिवसीय बृहद पंचकल्याणक महोत्सव आयोजित किया जा रहा है ।
पंचकल्याणक महोत्सव में विधायक आर के दोगने, अभिजीत शाह ने पहुंच कर मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया । नगर पंचायत अध्यक्ष देवेंद्र भारद्वाज सहित काफी जनप्रतिनिधि भी पधारे। इस अवसर पर दोनों विधायगणों ने श्रृद्धालुओं के एक – एक दिन के भोजन के पुर्ण्याजक बनने का सौभाग्य प्राप्त किया ।
सौधर्म इंद्र का सजा दरबार, इंद्र-इंद्राणीयों की शंका का हुआ समाधान
पंचकल्याणक आयोजन के तहत संध्याकालीन महाआरती के पश्चात सौधर्म इंद्र के दरबार का मंचन किया गया जिसमें सौधर्म इंद्र के द्वारा इंद्र इंद्राणियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब देकर उनकी शंका का निराकरण किया गया । इस दौरान अष्टकुमारीयां बनी युवतियों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया । पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिन आज नवनिर्मित जिनालय मैं शिखर शुद्ध और वेदि का शुद्धिकरण बाल ब्रह्मचारी वाणी भूषण विनय भैया बांडा द्वारा करवाया गया । तत्पश्चात जिनालय से घटयात्रा निकाली गई जो कार्यक्रम स्थल पर पहुंची।शाम को गजराज पर महाआरती का आयोजन हुआ।

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