बाजीराव भारत के नेपोलियन नहीं, नेपोलियन थे विश्व के बाजीराव

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वैश्विक इतिहासकारों ने भारत के साथ किया दुर्व्यवहार, जनता को खारिज़ करना होगा ऐसे कथन

इन्दौर। इतिहासकार वी.एस. स्मिथ ने बाजीराव पेशवा की युद्ध कला और रणनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें “भारत का नेपोलियन” कहा था।
इस पर इन्दौर के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि ‘मूर्खता की पराकाष्ठा यह है कि क्या स्मिथ को यह ज्ञात नहीं कि बाजीराव का जन्म 1700 ई. में हुआ और निधन 28 अप्रैल 1740 ई. में हो गया था, और नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 1769 ई. में हुआ। तथ्य अनुसार तो जो व्यक्ति पहले जन्म लेकर इतिहास दर्ज करता है, उसके अनुसार बाद में जन्म लेने वाले को उसके जैसा बताया जाता है, उसी मायने से नेपोलियन ने बाजीराव के शौर्य का अनुसरण किया और इस कारण से तो नेपोलियन को विश्व का बाजीराव कहा जाना चाहिए।’


उन्होंने तात्कालिक विदेशी इतिहासकार पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि ‘ भारतीय ज्ञान परम्परा को ख़ारिज करने के कुत्सित प्रयासों के चलते इस तरह के इतिहासकारों को भारत मे मान्यता दी गई है। उस दौर में क्यों भारतीय इतिहास को इस तरह से गंदा किया गया होगा? और आख़िर इन जैसे इतिहासकारों को भारत के महान योद्धाओं को विश्व योद्धाओं की तुलना में कमज़ोर बताने की आवश्यकता क्यों हुई?’

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