*जब भी मौका मिला कांग्रेस को बेचने से कभी नहीं चुका बी एम जी ग्रुप*
*(B फॉर बा ल)*
*(M फॉर मु र्गा)*
*(G फॉर ग मला)*
*जमीनी कार्यकर्ताओं से लेकर प्रत्याशी चयन प्रक्रिया तक गद्दारी करने वाले बी एम जी ग्रुप की गद्दारी का यूँ तो काफी लंबा इतिहास है,*
*लेकिन 15 वर्षों तक कांग्रेसियो के बनवास भोगने की वजह से निष्ठावान कांग्रेस प्रेमियों ने सोचा सायद अब इन गद्धार दलालो को इनके लाभ के लिये ही समझ आ जाये।*
लेकिन कहावत है कुत्तों की दूम कभी सीधी नहीं होती।
उसी का निर्वाह करते हुए यह दलाल चुनाव आते ही फिर सक्रिय हो गए उन इमानदार दावेदारों के गले घोटने के लिये जिन्होंने विगत दस वर्षों से रात दिन जनता के बीच जाकर न सिर्फ अपनी उपस्थिती दर्ज करवाई बल्कि उन जमीनी लोगो की मुसिबतो और सुख दुख के सहभागी भी बने |
*बावजूद भी इन गद्दारों ने नहीं की अपनी मानसिक दिवालिये पन में कोई तब्दीली*
क्योंकि इन दलालों की जिंदगी और दुकाने सिर्फ कांग्रेस पार्टी पर तो निर्भर है नहीं *क्योंकि यह नेता कम दलाल जो ठहरे*
इसीलिए इन दलालों को विरोधी पार्टियों के सहयोग का सत्ता से दूर रहते हुए भी इनाम स्वरुप अच्छा प्रतिफल मिलता रहता हैं। इसलिए यह विपक्ष में चुपचाप बैठे रहे।
कोई अल्ट्राटेक का सौदागर बना तो कोई नकली शराब का, कोई अल्पसंख्यकों का रहनुमा बनकर कांग्रेस को चुना लगा रहा है|आखिरकार कांग्रेस के ताबूत में किल क्यों ठोकी जा रही है, या किसके कहने पर ये घर में रहकर जयचंद बनने का खेल खेला जा रहा है|
अरे इनसे अच्छे तो वो लोग है *जो भले सामने वाले का मुर्गा खा लेते है दारू पी लेते है पर वोट तो *हाथल्या* काजे ही देज*
अरे शर्म करो रे दलालों…. बेशर्मों…. कांग्रेस माँ है …. तुमने माँ को भी बेचने में कसर नहीं छोड़ी….
*वनवास तो सिर्फ सच्चे एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने भोगा।*
और जब चुनाव आए तो इनके ह**** मी बैक्ट्रिया फिर सक्रिय हुए और इन्होंने फिर दिल्ली भोपाल जा के किया शीर्ष नेतृत्व व कोर कमेटी को गुमराह।
लेकिन पार्टी के सच्चे अंधभक्त व ईमानदार कार्यकर्ताओ व भोली भाली जनता की आँखों की पट्टी तो तब खुली जब अपना तन मन और धन और संपुर्ण समय लुटाने वाले मनावर के सच्चे हकदारो की मेहनत और अधिकार छिन के एक अंजान अजनबी और पैराशूट प्रत्याशी को टिकट दिला के जन्मजात संगठन के छोटे-बड़े व वरिष्ठो से किनारा कर जयचंदी भूमिका में हार के मसीहा के साथ कदम ताल करते नजर आये ये दलाल जन मानस के विश्वास का जो इन्होंने गला घोटा है।
वह बीज जल्द ही अंकुरित होकर इन गद्दारों के भविष्य की नई इबारत लिखेगा…..
*सवाल तो यह भी…*
_*कितने में बैचा मनावर….?*_
हाँ, जिस तरह का सर्वे बावरिया से करवाया, या तुम लोगों की मिली भगत से तो ये स्पष्ठ है कि मनावर का सौदा हुआ है,अब ये भी सच्चे, कांग्रेसीयों को बता दो कि तुम्हारी भावनाओं की किमत कितनी मिला, ताकि हमें भी हमारी मौत की किमत का अंदाजा तो हो जाए,अरे मनावर से कांग्रेस की मौत का कितना मिला, ये भी बता दो……
भविष्य में तुम्हारी चिंता कौन करेगा, ये भी देखने वाला समय रहेगा….