*कम्प्यूटर बाबा का कम्प्यूटर हुआ हैंग,* अखाड़ों ने महामंडलेश्वर पद से हटाने का जारी किया फरमान
*(डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’)*
सिंहस्थ 2016 के समय से सुर्खियों में आए बाबा नामदेवदास त्यागी जिन्हें लोग ‘कम्प्यूटर बाबा’ के नाम से जानते हैं, मन की बात करते-करते राजनैतिक मंशा के प्रबल होने पर संतों के ही कोप भाजन का शिकार हो गए ।
सिंहस्थ के दौरान क्षिप्रा के मैला होने को लेकर पहले हो हल्ला करने के बाद जब तात्कालीन सरकार ने इनकी मंशा भाँप कर इन्हें बड़ी जगह और सम्मान से नवाज दिया तो इन्हें फिर क्षिप्रा कभी मैली नहीं दिखी, उसी तरह हर बार डराने-धमकाने की राजनीति यानि ब्लेकमेलिंग करने को अपना हथियार बनाने वाले बाबा ने फिर नर्मदा का सीना छलनी दिखाया तो सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया तो फिर खामोश बैठने वाले बाबा एक बार फिर शिवराज के खिलाफ मोर्चा तो खोल बैठे पर इस बार शिव ने एक न सुनी और बाबा ने इसी के चलते संत समाज बिरादरी से भी मुहँ की खाई ।
खैर बाबा की मंशा से कौन वाकिफ नहीं है, टिकट चाहिए था, नहीं मिला तो बाबा को लगा कि हर बार वाला हथियार निकाल कर भांज देते है, पर अब की बार यह उनके गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है।
दिगंबर अखाड़े की पहल पर अखाड़ा परिषद ने बाबा को महामंडलेश्वर पद से ही हटाने का फैसला ले लिया और अब बाबा संत समाज को नमन करते नजर आ रहे है ।
बाबा तो बाबा ठहरे…. पहले लगा कि भांजी हुई तलवार चलाकर बचा लेंगे जमात पर अबकि बार डण्डा चला भी तो अखाड़ा परिषद का ।
*होई वहि जो शिवराज रचि राखा*
सच तो यह है कि हर बार शिवराज सिंह ने बाबा के सामने झुकना तय किया, पर बाबा की मंशाएँ परवान पर भी रही और संभवत: भाजपा के ही दिग्गज कद का मिला हुआ अघोषित समर्थन बाबा को साथ दे रहा था, पर शिव ने इस बार अखाड़ा परिषद के माध्यम से तीसरा नेत्र खोल कर बाबा के कम्प्यूटर को हैंग कर दिया।
कोशिश तो हैक करने की थी, पर अब हैंग ही हो पाया। वैसे भी बाबा का चित्र और चरित्र चित्रण तो *अथ श्री कम्प्यूटर बाबा चरित्रम्* में बाबा ही लिखवा चुके पर हर बार की तरह ये नौटंकी ज्यादा न चलते हुए सामने आ गई।
*ना मांगूँ बंगला-गाड़ी, मुझे बनना है विधायक*
संत जन पार्टी बनाने के दौरान भी बाबा का तमाशा सरकार को ब्लेकमैल करने का ही रहा था, फिर बंगला-गाड़ी को ठुकरा कर बाबा जी तो विधायक बनने के सपने ही पाल बैठे। तब बेचारे शिव क्या करते, अपने धुर विरोधी का संरक्षण प्राप्त बाबा को कब तक झेलते, उन्होंने भी फिर नया मोहरा चलते हुए उन्हीं को काम में ले लिया जिन्हें दो वर्ष पहले ही सुविधाओं का शगूफा दिया था।
आखिर बाबा की बाबागिरी तो खतरे में आ ही गई।
अब तो इंतजार है कि कब ये तमाशा बंद करेंगे बाबा या फिर क्या नया पैतरा चलेंगे???
…… जय हो बाबाजी की
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*डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’*
खबर हलचल न्यूज, इंदौर