देवास-प्रेम के प्रतीक का पर्व करवा चौथ उत्साह के साथ मनाया गया। शनिवार को पति पत्नी के बीच प्रेम स्नेह का यह पर्व महिलाओं ने उत्साह के साथ मनाया सुहाग का यह व्रत हर साल कार्तिक के पवित्र महीने में संकष्टी चतुर्थी के दिन यानी कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि को किया जाता है,सुहागने इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सरगी खाकर व्रत आरंभ करती है, व्रत पूरे दिन होता है। रात में चांद को छलनी से देख कर व्रत का समापन किया गया,इस व्रत में चांद को देखने से पहले मातृशक्ति को पानी भी नहीं पीना होता है इसलिए इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है।
चांद दिखा तो महिलाओं के चेहरे पर आई खुशी….चांद देख कर किया पूजन
करवा चौथ व्रत चांद को देखकर खोला जाता है शनिवार को रात्रि 8:30 बजे के पश्चात जैसे ही आसमान में चंद्रमा दिखाई दिया महिलाओं के चेहरे पर प्रसन्नता आई और महिलाओं ने सर्वप्रथम पूजन किया पश्चात अपने अपने पतियों के चेहरे को छूने में देखकर भगवान से उनकी लंबी आयु की कामना की पतियों ने भी इस पर्व का चंद्रमा पूजन के पश्चात अपनी-अपनी पत्नियों को जल पिलाकर व्रत पूरा कराया।