हरिनाम नाम स्मरण से हो जाता है भवसागर पार- जया जी
(दसई से अमृतलाल मारु की रिपोर्ट 96 30186 106)
दसई भगवान के नाम में इतनी ताकत है कि वह पापी से पापी मनुष्य को भी भव से पार लगा सकता है । कृष्णा यानी धर्म का अवतार अधर्म के नाश के लिए ही हुआ था । भक्ति में ऐसी शक्ति है कि छोटे से प्रह्लाद के लिए नृसिंह ने अवतार लिया। कलयुग कुछ करने का युग है जिससे लिया हुआ मानव जन्म सफल हो सके- यह उद्गार जयंती दिव्य धाम में चल रही भागवत कथा में जया कृष्णा जी ने चौथे दिन व्यक्ति किए।
जया कृष्ण जी ने कहा कि कलयुग मैं केवल नाम स्मरण से ही मुक्ति संभव है । गृहस्थ जीवन में से समय निकालकर आप कथा सुनने आए हो यह बड़े भाग्य की बात है । उठते-बैठते ,घूमते- फिरते ,खाते-पीते ईश्वर के स्मरण में लगे रहो क्या पता कब कौन से सांस आखिरी हो जाए ? भगवान का नाम पापियों मैं भी पापी और पाप शिरोमणि को मुक्ति दे सकता है। अजामिल ने जाने-अनजाने नारायण का नाम जपा तो उसे मुक्ति मिल गई ।”कर्षती-आकर्षति इति कृष्ण” यानी जो आकर्षित कर ले वह कृष्ण । जब आसुरी अंशों मे वृध्दि होती है तब धर्म के आधार स्तंभ दया ,प्रेम, सहयोग आदि ध्वस्त होने लगते हैं। तमोगुण की प्रधानता से असुरों की वंश वृद्धि होती है। लेकिन जब धर्म विरक्त होकर भगवान को पुकारता है तब अवश्य ईश्वर अवतार लेते हैं और अधर्म का नाश कर पुनः धर्म की स्थापना करते हैं ।
भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। प्रहलाद बचपन में ही नाम सुमिरन में लग गए तो ईश्वर को उनकी भक्ति से रिझना पड़ा और ऐसे स्वरूप को धारण किया जो हिरण कश्यप की हर शर्त के अनुरूप था। नरसिंह का अवतार धारण करके भगवान ने भक्ति की रक्षा की । आप भी जीवन में भक्ति करते रहो छोटी-मोटी बाधाएं तो यूं ही दूर हो जाएगी। भक्ति में बाधा भी उन्हीं को आती है जो ईश्वर को प्रिय होते हैं ।परीक्षा भी उन्ही की होती है ।बाकी को तो ईश्वर सुख-सुविधाएं देकर अपने से दूर कर देता है। इसलिए जीवन में कभी भी बाधाएं आए तो डरना मत ईश्वर की शरण लेना सब कुछ अच्छा ही होगा यह तय है । कथा में जब कृष्ण बने नन्हे से बक्षालक को वासुदेव टोकरी में लेकर आए तो सारा माहौल कृष्ण मैं हो गया। और “नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ” की गूंज सुनाई दी ।माखन मिश्री खा कर श्रोता आनंदित हुए।
