क्षेत्र में नीलगायों का आतंक

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नीलगायों का आतंक
अमृतलाल मारु की रिपोर्ट
दसई क्षेत्र में बड़ी संख्या में नीलगायो ने आतंक मचा रखा है जिससे किसान बुरी तरह परेशान है। पकने आई फसलों की रखवाली किसान रात भर जाग जाग कर कर रहे है । इस बार खरीफ के सीजन से ही गायों के झुंड क्षेत्र में थे जो रबी सीजन के आते आते लगातार बढ़ते जा रहे हैं । नीलगाय के आतंक से मुक्ति के लिए किसान रातों में पटाखे फोड़ते हैं परंतु इसका इन गायों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
करीब चार-पांच सालों पूर्व क्षेत्र में एकाध झुंड नील गायों का नजर आया था और खेतों में इससे नुकसान की आशंका के चलते किसानों ने निगरानी करना शुरू कर दी थी परंतु लगातार इनकी संख्या बढ़ने से अब रबी के साथ ही खरीफ सीजन से ही गायों के झुंड दिखाई देने लगते हैं । वर्तमान में दसई के आसपास कई क्षेत्रों में रात ढलते ही गायों के झुंड खेतों और सुनसान सड़कों पर नजर आने लगते हैं । यह गाय फसलों को खाती कम उन पर लोट ज्यादा लगाती है जिस से फसलें तहस-नहस हो जाती है । दसई से लगे चोटिया बालोद क्षेत्र और दसई के झोभरा ,रागातलाई ,धोली बावड़ी, चंदन बावड़ी आदि क्षेत्रों में इन गायों के झुंड नजर आ रहे हैं । किसान हरि नारायण पटेल ने बताया कि मेरे धामंदा स्थित खेत पर इन गायों के लोटनें से फसल चौपट हो गई जो दूर से ही नजर आती है । कमलेश पटेल कमलेश पटेल धर्मेंद्र बंगला वाला आदि किसानों ने बताया कि इस समय खेतों में गेहूं ,चना ,लहसुन आदि की फसलें लगी हुई है जो अब लगभग पकने आ गई है। अगर ऐसे में नीलगाय इन पर लेट गई तो फसलें खराब होने के साथ ही उत्पादन भी प्रभावित करेगी जिससे उनकी दिन रात की गई मेहनत पर पानी फिर जाएगा । शाम होते ही ये गाये15:20 के झुंडो में इन क्षेत्रों से गुजरती है और हर परिवार के सदस्यों को उसकी निगरानी रखना पड़ती है ।
इस संबंध में वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इन गायों को पकड़ने के लिए कोई प्रावधान नहीं है । नुकसान का पटवारी से वेरिफिकेशन करवाने के बाद मुआवजा देने का जरूर प्रावधान है। किसान ज्यादा नुकसान होने पर पटवारी से संपर्क करें ।

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