समीकरणों की शह और मात पर टिकी इंदौर की सियासत

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समीकरणों की शह और मात पर टिकी इंदौर की सियासत

 

(डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’)

इंदौर। शहर में विधानसभा चुनावों की तैयारियां परवान पर है, हर वार्ड, विधानसभा में प्रत्याशियों की सक्रियता के जलवे कायम है। कोई सुबह ६ बजे से जनसम्पर्क पर तो कोई रात को तक जनसम्पर्क करने पहुँच रहे है। इसी बीच मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर पर पुरे प्रदेश की निगाहें टिकी  हुई है। कोई सिंधियाँ-मनमोहन सिंह की सभा करवा रहा है तो कोई प्रधानमंत्री  मोदी और योगी को बुला कर मतदाताओं को रिझा रहा है। इसी बीच शहर के जातिगत समीकरण हर विधानसभाओं में गणित बना रहे है। विधानसभा वार यदी समीकरणों का गणित समझे तो एक तरफ़ा किसी पार्टी की जीत नजर नहीं आ रही है।

विधानसभा एक : सुदर्शन और संजय के बीच बोल बच्चन युद्ध शुरू

पहले तो विधानसभा १ से मैदान में उतरे बागियों के सुरों से गुलजार थी जहाँ एक और कमलेश खंडेलवाल मैदान संभाल रहे थे, वही दूसरी तरफ प्रीति गोलू सक्रीय थे, पर कांग्रेस ने डेमेज कंट्रोल किया जिससे बागी तो कांग्रेस का सिरदर्द  नहीं बन पाए। इसी बीच पूर्व विधायक और भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन गुप्ता ने कांग्रेस के प्रत्याशी संजय शुक्ल के परिवार के बारे में गुंडा जैसे शब्दों से बोलना शुरू कर दिया। संभवत: गुप्ता के बिगड़े बोल ही उनके लिए मुसीबत बन सकते है।

 

विधानसभा दो : टक्कर भी दो बाहुबलियों के बीच

भाजपा से कद्दावर नेता रमेश मैंदोला तो कांग्रेस से भी दबंग नेता मोहन सेंगर मैदान में है। एक तरफ भाजपा राजेश जोशी को शहीद बता कर उनकी शहादत को भी भुनाने में लगी है तो वही कांग्रेस प्रत्याशी भावनात्मक जादू कर रहे है। इस विधानसभा में दादा दयालु का जलवा कायम तो है पर मोहन सेंगर भी कम नहीं पड़ रहे है। मुकाबला बराबरी का है।

 

विधानसभा ३ : अनुभवी और नवोदित के बीच कड़ा मुकाबला

३ नंबर विधानसभा में कांग्रेस से अश्विन जोशी और भाजपा से राश्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के सुपुत्र आकाश विजयवर्गीय मैदान में है। अश्विन की मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पैठ आकाश के लिए संकट है तो अश्विन को नया परिसीमन और आकाश की युवा लाबी भारी पड़ेगी। वैसे तो टीम मैंदोला का पूरा साथ और पिता कैलाश का चुनावी मैनेजमेंट आकाश के लिए लाभदायी है।

 

विधानसभा ४ :  टिका है मालिनी और सुरजीत का गणित जातिगत समीकरणों पर

भाजपा की अयोध्या से भाजपा से सफाईवाली माता मालिनी गौड़ और कांग्रेस से करोड़पति सरदार सुरजीत  चड्डा मैदान में है। इस बार फिर भाजपा से सिंधी उम्मीदवार को टिकट न देना भाजपा का गणित बिगड़ सकता है तो कांग्रेस के लिए ब्राह्मण समाज की उपेक्षा भारी पड़ेगी। वैसे मालिनी की क्षेत्र की उपेक्षा भी कम नहीं है। भाजपा और कांग्रेस का यहाँ भी मुकाबला कड़ा है।

 

विधानसभा ५ : बाबा और सत्तू में चल रही टशन, मतदाता खामोश

 भाजपा से पूर्व मंत्री महेंद्र हार्डिया मैदान में और कांग्रेस से धनकुबेर सत्यनारायण पटेल का धनबल का जोहर मैदान में है। बाबा द्वारा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और विधानसभा में चुनाव जितने के बाद न झाँकना बाबा के लिए भारी है तो सत्तू से मिलना कठिन होने से मतदाता खामोश है।  अब देखना ये है की मतदाता किस करवट बैठ कर किसे विधायक बनाता है।

 

विधानसभा राऊ : जीतू और मधु के बीच परिवर्तन की लहर भारी

राऊ में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी तो भाजपा से पूर्व आईडीए अध्यक्ष  मधु वर्मा मैदान में है। जीतू के बड़बोले बोल जिसमे पार्टी गई तेल लेने, पोलके में पैसे जैसे बयान भारी पढ़ रहे है तो मधु की क्षेत्र में कमजोर पकड़ भी भाजपा को गच्चा दे सकती है। विधानसभा राउ  पर पूरे प्रदेश की निगाहे टीकी  हुई है।

 

विधानसभा सांवेर : राजेश और तुलसी में पलड़ा कमजोर किसका

भाजपा से पूर्व विधायक और दबंग  नेता राजेश सोनकर के सामने कांग्रेस के पहलवान तुलसी सिलावट उतरे है। जहाँ राजेश के भाइयों का दबदबा है तो वही तुलसी भी कम नहीं है। पर इस बार सोनकर की निष्क्रियता का फायदा सिलावट को मिल सकता है। वैसे क्षेत्र में तुलसी की पकड़ गहरी है और पिछली बार मोदी और शिवराज लहर में सोनकर विधायक तो बन गए थे पर इस बार मुकाबला भारी है

 

विधानसभा महू : कटारवाली दीदी या दरबार कौन होगा महु का अगला विधायक

महू से कांग्रेस के अंतरसिंह दरबार और भाजपा से कटार वाली दीदी उषा ठाकुर मैदान में है। वैसे दरबार ने तो पूर्व विधायक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश जी को भी जीत गले में फसा दी थी तो इस बार तो भाजपा ने पैराशूट से प्रत्याशी भेज कर दरबार का कद बड़ा दिया है। महू से मुकाबला कड़ा है।

 

विधानसभा देपालपुर: मतदाता हर बार बदल देता है विधायक 

देपालपुर में भाजपा से मनोज पटेल तो कांग्रेस से विशाल पटेल मैदान में है। इसी बीच देपालपुर के मतदाताओं की यही कहानी है कि हर बार परिवर्तन कर देता है। इसी के चलते कांग्रेस के खाते में देपालपुर सीट आ सकती है। अब देखना यह होगा कि  महाराज का जादू चलता है या शिवराज का।

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