मनोरोग के उपचार के साथ पारिवारिक माहौल भी अहम-न्यायाधीश जोशी*

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*मनोरोग के उपचार के साथ पारिवारिक माहौल भी अहम-न्यायाधीश जोशी*

*कपिलेश शर्मा बड़वानी*-मानसिक रोग के निदान का प्रथम सोपान पारिवारिक परिवेश होता है जिसमें परिवार एवं सार्वजनिक जीवन में घटित घटनाऐं बहुत हद तक मनोरोग के लिए जिम्मेदार होती है, उक्त बातें जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रामेश्वर कोठे के मार्गदर्शन में आयोजित ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ के अवसर पर आशा इंस्ट्ीट्युट आॅफ नर्सिंग आशाग्राम में आयोजित कार्यशाला में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री हेमन्त जोशी ने कही। उन्होने कहा कि मनोरोग हो जाने मात्र से ही किसी मनोरोगी के अधिकार समाप्त नहीं हो जाते बल्कि विभिन्न प्रावधानों के तहत उसके हितों का संरक्षण किया जाता है तथा समाज के जागरूक लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत अमले को भी मनोरोगियों के प्रति मानवीय संवेदनाऐं रखने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर न्यायाधीश श्री भूपेन्द्र आर्य भी उपस्थित थे। कार्यशाला में क्लिनिकल साइकोलाॅजिस्ट राहुल गुप्ता ने मानसिक स्वास्थ्य एवं परामर्श विषय पर जानकारी देकर विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिये।
विशेष शिक्षक मानसिक मंदता श्री विकास श्रीवास्पत ने मनोरोग के साथ-साथ मन्दबुद्धि बच्चों के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी विद्यार्थियों को प्रदान की।
कार्यक्रम का संचालन जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र की श्रीमती नीता दुबे ने तथा आभार प्रदर्शन जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र के श्री मणीराम नायडू ने किया।
इस अवसर पर आशा इंस्टीट्युट आॅफ नर्सिंग की अर्चना खरत, जयश्री चैहान, प्रियंका प्रजापत, जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र की आशा पटेल आदि उपस्थित थे।

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