मन परमात्मा की परम् देन है।–पण्डित शास्त्री/कृष्ण रूखमणी ने खेली फूलो की होली।

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वास नयापुरा स्थित लक्ष्मी नारायण धर्मशाला में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन भगवान श्री कृष्ण रुकमणी विवाह संपन्न हुआ जिसमें भगवान कृष्ण और रुकमणी का अद्भुत सिंगार कर 2 कुंटल फूलों से रंगारंग होली खेली गई जिसका सभी श्रोता गणों ने उत्साह पूर्वक कीर्तन किया कथावाचक आचार्य जितेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि मन परमात्मा की परमभेट है मन ऐसा है जैसे हमारी परछाई जहां हम जाते हैं मन भी वही लग जाता है पूजा गृह में जाएं तो भगवान की भक्ति में और चोरी करने जाओ तो वस्तुओं पर संत हमारे बीच में मौजूद हुए हमें आशीर्वचन की वर्षा की ऐसे संत को मैं प्रणाम करता हूं आज मानो देवास वृंदावन हो गया संत श्री स्वामी माधवानंद जी गिरी ने कहा कि श्राद्ध पक्ष में श्रीमद्भागवत गीता का कानों में पड़ जाना बड़ा ही सौभाग्य का क्षण है सात दिवस श्रीमद्भागवत गीता सुनने से जीवन के दुखों से कैसे मुक्त होना है समझ आ जाता है भागवत गीता हमारे मन विचार और आत्मा को शिथिल करती है कथा आयोजक रामेश्वर दायमा ने सभी का अभिवादन किया आरती के मुख्य अतिथि संत स्वामी माधवानंद गिरी, स्वामी योगेंद्र भारती, एडवोकेट हेमंत शर्मा, मनोज श्रीवास, अशोक चावला, केसरी पटेल, अनिल बेरवा, धर्मेंद्रसिंह बैस, गणेश पटेल, नवीन सोलंकी आदि उपस्थित थे उक्त जानकारी विशाल दायमा ने दी

 

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