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*बड़वानी (सेंधवा ) कपिलेश शर्मा*- जिन्ह जिन्ह शक्तिओ ने अहंकार किया उन्ह शक्तिशाली अहंकारियों का पतन हुआ है रावण ने अहंकार किया, कंस ने अहंकार किया उनका घमंड प्रभु राम व कृष्ण ने चूर किया । जीवन मे अहंकार ही पतन का कारण होता है । इस लिए अहंकार को त्यागकर दयालु, श्रद्धालु बने । उक्त उद्बोधन पंडित कन्हैयालालजी शास्त्री ने ग्राम गोई में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन व्यक्त किये । शास्त्री ने कहा
विश्व को एक रूप में देखे वह विष्णु है समांतर रूप से सबके लिए न्यायप्रिय कार्य करे वह विष्णु है सबको एक भाव से देखे वह विष्णु है ।विश्व का कल्याण करना है तो यज्ञ करो, किसी कार्य विशेष के रूप में किया गया हवन मे भगवान खुद प्रकट होते है महाराज दशरथ के हवन में भगवान खुद प्रकट हुए जबकि रावण ने घमंड से अनैतिक कार्य के लिए यज्ञ किया तो उनका यज्ञ असफल हुआ । इस लिए अच्छे कार्य के लिए किए गए कार्य मे सफलता अवश्य मिलती है। संसार में ब्राम्हण हत्या सबसे बड़ा पाप मन गया है ।
स्त्री तीन कुल को उद्धार करती जिसमे माता पिता व पति को इस लिए स्त्री को पवित्र मन गया है जबकि पुरुष दो कुल का उद्धार करता है इस लिए स्त्री व पुरुष में स्त्री को अधिक महत्व है ।
कथा में बड़ी संख्या में ग्राम की महिला भी सम्मलित हुई ।