‘हवस का पुजारी ही क्यों? हवस का पादरी भी तो…’, मनोज मुंतशिर बोले- बॉलीवुड ने सनातन के तहत की है साजिश

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गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर मनोज शुक्ला, जिन्हें तमाम दर्शक मनोज मुंतशिर के नाम से जानते हैं। अमेठी से आने वाले मनोज मुंतशिर आज मायानगरी का बड़ा नाम बन चुके हैं. जिन्होंने ‘गलियां’, ‘तेरे संग यारा’, ‘कौन तुझे’, ‘तेरी मिट्टी’ जैसे खूबसूरत गाने लिखे तो कई बड़ी फिल्मों की स्क्रिप्ट भी। अब वह ‘जी न्यूज’ के सबसे बड़े सम्मेलन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का हिस्सा बने। जिन्होंने देश-विदेश से लेकर फिल्म इंडस्ट्री के विषयों पर खास बातचीत की। यहां उन्होंने हिंदुत्व, राजनीति, जातिगत जनगणना से लेकर अपने अमेठी वाले दिनों को याद किया।

नए भारत में क्या सचमुच सब बदल गया है? जैसे सवाल पर मनोज मुंतशिर ने कहा, ‘अगर मैं ये कहूं कि सबकुछ बदल गया है तो झूठ होगा…ये भी झूठ है कि कुछ नहीं बदला, ये भी झूठ है कि हम पिछले कुछ सालों में पीछ हुए हैं, ये तो उन लोगों की सोच है, कमियां हैं। कुल मिलाकरथोड़ा है थोड़े की जरूरत है।’

मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर बनने तक का सफर

अमेठी से निकल आने वाले मनोज मुंतशिर ने इंडस्ट्री की जर्नी को लेकर भी रिएक्ट किया। उन्होंने कहा कि ‘मैं आज भी मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर बन नहीं पाया हूं। मेरी परतें हटाएंगे तो आज भी आपको अमेठी वाला ही लड़का दिखेगा। आज भी वही लड़का हूं, जो कभी प्रताप नगर रेलवे स्टेशन पर तौलिया बिछाकर लेटा हुआ था। वही लड़का हूं, जो कभी रिक्शेवाले से मोलभाव कर रहा था। एक लड़का जो चाय को अमृत बताता है। इसे बताने के लिए तर्क देता है। मैं आज भी वैसा हूं जैसा था। मुझे गर्व है जो कर रहा हूं।’

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