क्या उज्जैन में रात रूक सकते हैं मुख्यमंत्री मोहन यादव..!

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उज्जैन के बाबा महाकाल को लेकर प्राचीन मान्यता है कि अगर कोई राजा उज्जैन में रात गुजार दे उसे अपना राजपाट गंवाना पड़ता है। आज भी कहा जाता है कि उज्जैन में कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या जनप्रतिनिध रात गुजार ले तो उसे इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ता है। यह बात उमा भारती के मामले में सिद्ध भी हो चुकी है..? अब प्रदेश का नया मुखिया चूंकि उज्जैन से ही है और अब जबसे डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में कुर्सी संभाली उनका डेरा भोपाल में ही डल रहा है..!
इधर इस मुद्दे पर श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय पुजारी महासंघ पं. महेश पुजारी ने अपनी बात रखी है, उन्होंने मीडिया को बताया कि अगर डॉ. मोहन यादव बाबा को साक्षी मानकर उनके प्रतिनिधि के रूप में उज्जैन में निवास करते हैं और कुशा पर विश्राम करते हैं तो वे उज्जैन में रात गुजार सकते हैं… चूंकि यादव बाबा के भक्त हैं, और महाकाल कृपा से ही वे मुखिया बने… उनका जन्म उज्जैन में ही हुआ है… इसी कारण वे बाबा महाकाल के पुत्र भी हुए… वे मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अगर अपने घर मे रुकते हैं तो वह बाबा महाकाल का एक आसान अपने घर पर रखें… बाबा महाकाल को राजा के रूप में साक्षी मानकर उनके प्रतिनिधि के रूप में वहां निवास करें… साथ ही अगर वे चाहते हैं तो यह भी त्याग करें कि बाबा महाकाल के चरणों में कुशा पर विश्राम करें… जैसे भरत ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की चरण पादुका रखकर रामराज्य किया था और वह भी कुशा के आसन पर विश्राम कर अपना राज्य चलाते थे… यदि डॉ. मोहन यादव बाबा महाकाल की आसंदी के साथ यहां विश्राम करते हैं और राज्य चलाते हैं तो इससे उत्तम और कोई बात नहीं होगी… बस आसन कुशा का होना चाहिए…
अब नए मुखिया चाहें तो रिस्क लेकर यह प्रयोग कर सकते हैं..! आगे बाबा महाकाल की इच्छा.!!

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