राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पानीपत मे सम्पन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में मालवा का पक्ष रखा

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मालवा प्रांत में संघ की 2618 स्‍थानों पर 3977 शाखाएँ लग रही,

संघ का विस्तार पहला लक्ष्य, परिवार शाखा इत्यादि से कार्यकर्ता होंगे एकजुट

इन्दौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रांत द्वारा आज पत्रकार वार्ता आयोजित कर पानीपत में हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव इत्यादि रखे।
इस पत्रकार वार्ता मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रांत के संघचालक डॉ प्रकाश शास्त्री ने “अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा” मे प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन तथा उसमें पारित प्रस्ताव के विषय में जानकारी दी।
राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 12,13 एवं 14 मार्च 2023 को हरियाणा प्रांत में सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र पट्टीकल्‍याणा, समालखा में संपन्‍न हुई। रविवार 12 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्पित कर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ किया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रतिनिधि सभा में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय स्‍तर पर कार्य स्थिति भी प्रतिनिधियों के सामने रखी गई। देश के प्रत्‍येक भाग में संघ कार्य में वृद्धि हो रही है। 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निभा रहा है। अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है।

प्रत्येक शाखा महीने में एक परिवार शाखा लगाएगी, बालगोकुलम के माध्यम से बच्चे जुड़ेंगे


उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है। वर्ष 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थीं। 2023 में यह संख्या बढक़र 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं।

डिजिटल प्लेटफार्म से महानगरों के लोग जुड़ रहें संघ से, संघ सम्पर्क और परिचय वर्ग से किया जाता है मजबूत


मध्‍यप्रदेश में वर्तमान में 7923 शाखाएं लग रही हैं। संघ की दृष्टि से मध्‍यप्रदेश में तीन प्रांत मध्‍यभारत, मालवा एवं महाकोशल आते हैं। तीनों प्रांतों में संघ कार्य में वृद्धि हो रही है। मध्‍यभारत प्रांत में वर्ष 2022 में 1698 शाखाएं लगती थी जो वर्ष 2023 में बढ़कर 2149 हो गई हैं। मालवा प्रांत में 2618 स्‍थानों पर 3977 शाखाएं लग रही हैं। इसी प्रकार महाकोशल प्रांत में 1325 स्‍थानों पर 1797 शाखा लग रही हैं।
आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। देशभर में लोग संघ को ढूंढते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संघ के साथ जुड़ने के लिए निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास देशभर से 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं। दैनिक शाखाओं में भी युवाओं की रुचि बढ़ रही है। संघ की 60 प्रतिशत शाखाएं विद्यार्थी शाखाएं हैं। पिछले एक वर्ष में 121137 युवाओं ने संघ का प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया है। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे, जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है।

मध्‍यभारत प्रांत में कार्यकर्ता प्रशिक्षण एवं गुणवत्‍ता विकास
मध्यभारत प्रांत के सभी जिला केंद्रों पर शारीरिक प्रधान कार्यक्रम करने की योजना बनी, विशेषकर भोपाल में 11 दिसंबर 2022 को शारीरिक प्रधान कार्यक्रम का प्रदर्शन हुआ। 1834 स्वयंसेवकों द्वारा दंड के प्रगत प्रयोग, घोष वादन, समता आदि का प्रदर्शन हुआ। इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओमप्रकाश रावतजी व माननीय सरकार्यवाह जी उपस्थित थे। अभी 279 में से 225 बस्ती कार्ययुक्त हैं।
भिंड जिला केंद्र पर 14 अक्तूबर 2022 को माननीय श्री भय्याजी जोशी की उपस्थिति में 415 स्वयंसेवकों ने शारीरिक अभ्‍यास का प्रकटीकरण किया। कार्यक्रम के बाद 12 नई शाखा प्रारम्भ हुई हैं। ब्यावरा जिला केंद्र के शारीरिक प्रधान कार्यक्रम में माननीय श्री सुनील जी कुलकर्णी की उपस्थिति में सभी 8 बस्तियों की 18 शाखाओं ने प्रात्यक्षिक प्रस्तुत किये।

डॉ शास्त्री ने बताया कि ‘प्रतिनिधि सभा में मालवा प्रान्त की गतिविधियों का उल्लेख हुआ जिसमें मालवा प्रांत के खंडवा विभाग में मंडल व बस्ती स्तरीय कार्य विस्तारकरने के लिए प्रत्येक मंडल व बस्ती पर संगठन श्रेणी हेतु 4 कार्यकर्ता व जागरण श्रेणी हेतु 7 कार्यकर्ताओं की टोली बनीं। पूरे विभाग के 117 मंडलों में से 22 में एवं 70 बस्तियों में से 19 बस्तियों में संगठन श्रेणी की टोलियां थी। मा. सरकार्यवाह जी के साथ भी दो सत्रों में बैठकें हुई।
प्रांत के दीनदयाल नगर इंदौर में अहिल्‍या बस्‍ती, रघुनंदन बाग में कोचिंग की आड़ में धर्म परिवर्तन का षड्यंत्र चल रहा था। दो वर्ष पूर्वस्‍वयंसेवकों और मातृशक्ति के प्रयासों से निशुल्‍क कोचिंग प्रारंभ की गई। विद्याभारती की शिशु वाटिका भी चल रही है। आज 70 बच्‍चे प्राथमिक शिक्षा प्राप्‍त कर रहे हैं।’

उज्‍जैन महानगर में जीवनदायिनी क्षिप्रा को पुन: प्रवाहमान बनाने के लिए आमजन द्वारा ‘क्षिप्रा नदी संरक्षण अभियान’ चलाया जा रहा है।
मंदसौर जिले में स्‍वयंसेवकों ने ऐसे मंदिर चिन्हित किए जहां लोगों का आना कम होता है। इन मंदिरों में प्रति मंगलवार और शनिवार को आरती एवं हनुमान चालीसा पाठ प्रारंभ किया गया। ऐसे तीन मंदिर समाज को सौंपे जा चुके हैं। ये आराधना के केंद्र बन गए हैं।
महाकोशल प्रांत में कार्यकर्ता प्रशिक्षण एवं गुणवत्‍ता विकास की दृष्टि से महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के बीच कार्य बढ़ाने एवं प्रत्‍येक इकाई में टोली खड़ी करने के उद्देश्‍य से प्रांत स्‍तर पर विद्यार्थियों का ‘सृजन शिविर’ आयोजित किया गया।विद्यार्थियों को संघ से जोड़ने के लिए प्रांत में 30 स्‍थानों पर संघ परिचय वर्ग आयोजित हुए। शॉर्ट फि‍ल्‍म निर्माण एवं प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट बनाने हेतु कार्यशालाएं आयोजित की गईं। पपू.सरसंघचालक के प्रवास में संगोष्‍ठी आयोजित की गई जिसमें समाज के अपने अपने कार्यक्षेत्र में विशेष योग्‍यता रखने वाले 1070 लोग उपस्थित रहे। ये सभी पूर्व से संघ के संपर्क में नहीं थे।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित अभिमत है कि विश्व कल्याण के उदात्त लक्ष्य को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु भारत के ‘स्व’ की सुदीर्घ यात्रा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है। विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ तथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुँची। इस कालखंड में पूज्य संतों व महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने सतत संघर्षरत रहते हुए अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। इस संग्राम की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित थी, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रही। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र ने इस संघर्ष में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता सेनानियों तथा मनीषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया है।
स्वाधीनता प्राप्ति के उपरांत हमने अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभर रही है। भारत के सनातन मूल्यों के आधार पर होने वाले नवोत्थान को विश्व स्वीकार कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा के आधार पर विश्व शांति, विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण के लिए भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मत है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी। संघर्षकाल में विदेशी शासन से मुक्ति हेतु जिस प्रकार त्याग और बलिदान की आवश्यकता थी; उसी प्रकार वर्तमान समय में उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध तथा औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त समाजजीवन भी खड़ा करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्वाधीनता दिवस पर दिये गए ‘पंच-प्रण’ का आह्वान भी महत्वपूर्ण है।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस बात को रेखांकित करना चाहती है कि जहाँ अनेक देश भारत की ओर सम्मान और सद्भाव रखते हैं, वहीं भारत के ‘स्व’ आधारित इस पुनरुत्थान को विश्व की कुछ शक्तियाँ स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक शक्तियाँ निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र के प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं। हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना होगा। यह अमृतकाल हमें भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त कराने के लिए सामूहिक उद्यम करने का अवसर प्रदान कर रहा है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा प्रबुद्ध वर्ग सहित सम्पूर्ण समाज का आह्वान करती है कि भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाजजीवन के सभी क्षेत्रों में कालसुसंगत रचनाएँ विकसित करने के इस कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बने, जिससे भारत विश्वमंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्व कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सके।
पत्रकार वार्ता में पत्रकारों ने प्रतिनिधि सभा के अनुभवों पर प्रश्न किए।

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