‘राजनीति के बिगड़े बोल’ पर समाचार ग्रह की परिचर्चा सम्पन्न

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शब्द का संयम ही संस्कारों का परिचय- डॉ जैन

भाषा विवेक का ध्यान रखना आवश्यक- श्री तिवारी

जीवन के हर क्षेत्र में भाषाई संयम ज़रूरी- कवि गौरव साक्षी

इन्दौर। शब्दों की संहिता से आत्मा, समाज और देश का निर्माण होता है, शब्द ही हथियार होते है और मलहम भी। उसी तरह बात जब हिन्दी की हो तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी हिन्दी महत्त्व है, देश के राजनेता भी हिन्दी में ही चुनाव प्रचार करते लहै और कश्मीर में आज़ादी माँगने वाले भी कहते है ‘कश्मीर मांगे आज़ादी’ इसी तरह राजनैतिक लोगों को स्तरीय और गरिमामयी होना चाहिए।’ यह बात मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने समाचार ग्रह द्वारा आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे। शुक्रवार को सुबह एमटीएच कम्पाउंड में आयोजित परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय ‘राजनीति के बिगड़े बोल’ व ‘आज के दौर में हिन्दी क्यों आवश्यक है’ था। कार्यक्रम का संयोजन सम्पादक ऋतु साहू ने किया।

समाचार ग्रह अख़बार के 6 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर यह परिचर्चा आयोजित की गई थी जिसमें वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी, विशेष अतिथि कवि गौरव साक्षी व अध्यक्षता मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने की।

मुकेश तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘संसदीय गरिमा अनुसार भाषा विवेक का ध्यान रखना चाहिए और राजनेताओं को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।’

कवि गौरव साक्षी अपने सम्बोधन में कह रहे थे कि ‘शब्दों की शुचिता का बड़ा महत्त्व है और जब हम शब्दों की शुचिता का ध्यान नहीं रखते तब शब्द अपना अस्तित्व खो देते हैं। राजनीति ही नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में भाषाई संयम अत्यावश्यक है।’

परिचर्चा में अतिथि स्वागत रितेश पटेल, कपिल साहू, आस्था त्रिपाठी ने किया। अंत में आभार शांतनु त्रिपाठी ने व्यक्त किया।

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