आज लगेगा कवलका माता मंदिर पर भव्य मेला हजारों की संख्या में उमड़ेगा जन सैलाब ।

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आज लगेगा कवलका माता मंदिर पर भव्य मेला हजारों की संख्या में उमड़ेगा जन सैलाब

पांच जिलों के लोग आएगे माता के मेले में

बदनावर – रतलाम जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर तथा बदनावर तहसील मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर पर स्थित कवलका माता मंदिर पर हरियाली अमावस्या के उपलक्ष में भव्य मेले का आयोजन होगा। वही माता के दरबार में हजारो भक्त माथा टेकने पहुंचेंगे। यहां रतलाम, धार, झाबुआ उज्जैन , इंदौर जिलों से श्रद्धालु पहुंचेंगे। ऐसी मान्यता है कि अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहाँ मदिरा की प्रसाद चढ़ाई जाती है। बदनावर के समीप इंदौर-रतलाम मार्ग से 3 किलोमीटर प्रश्चिम में ऊंची पहाड़ी पर यह मंदिर दूर से ही दिखाई देता है। यहां नवरात्रि के दौरान मनोकामना पूर्ण करने के लिए अनुष्ठान आदि में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। साथ ही रविवार को भीमाता के भक्तों की भारी भीड़ रहती है इस प्राचीन मंदिर पर पहुंचने के लिए लगभग 1 किलोमीटर सीढ़ियों से चढ़ाई करनी पड़ती है। वर्तमान में यहा पर टू व्हीलर व फोर व्हीलर वाहनों के लिए मार्ग तैयार किया गया है देवी मंदिर के इतिहास के बारे में कोई अधिकृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, किंतु इससे जुड़ी किवंदतीयो के अनुसार इसे महाभारतकालीन माना जाता है। किवंदतीयो के अनुसार इस क्षेत्र में पांडवों के निर्वासन काल के दौरान उनकी गाय कहीं जंगल में कहीं भटक गई थी। काफी तलाशने पर भी जब गाय कहीं नहीं मिली तो किसी ऊंचे स्थान का पता लगाकर उन्हें देखने की कोशिश की गई। किंतु कोई ऊंचा स्थान नहीं मिलने पर महाबली भीम ने क्रोध में आकर मुट्ठी में मिट्टी भरकर इस क्षेत्र में डाली जिससे यहा ऊंची पहाड़ी बन गई। इस ऊंची पहाड़ी पर से देखने पर गाय मांडव (जिला धार) के निकट विचरण करती दिखाई दी। तब भीम ने एक लकड़ी फेंक कर मारी जिससे गाय वापस लौट आई। बताते हैं कि आज भी मांडव में भीम की फेंकी लकड़ी मौजूद है। उसी समय पांडवों ने मां कवलका माता जी का मंदिर बनवाया था।

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