म.प्र. पेंशनर संघ का धरना भोपाल में संपन्न 

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म.प्र. पेंशनर संघ का धरना भोपाल में संपन्न 
देवास। मध्यप्रदेश औद्योगिक पेंशनर संघ के कोषाध्यक्ष गिरधर शर्मा ने बताया कि 5 फरवरी को अखिल भारतीय संयुक्त अभियान समिति के बैनर तले ई.पी.एफ.ओ. कार्यालय भोपाल में आयोजित धरने में ऑल इंडिया बैंक एम्पलाईज पेंशन फेडरेशन के महासचिव जी.एन. निमगांवकर, संघ के संरक्षक श्याम सुंदर यादव (इंटक), नेशनल एम्पलाई को-ऑर्डिनेशन कमेटी के जनरल सेकेेट्री चंद्रशेखर परसाई, एटक के महासचिव सुमेरसिंह, म.प्र. औ.पेंशनर संघ से विक्रमसिंह चौहान, गिरधर शर्मा,बीएमएस से गौरीशंकर चौबे आदि ने अपने विचार रखे।  541 से 1200 रू प्रतिमाह फंड जमा करने वाले पेंशनरों को 1000 रू पेंशन और 100 जमा करने वाले को 3000 रू पेंशन न्याय संगत नहीं है। वर्तमान सरकार के मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर, केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झूठा आश्वासन देकर पेंशनरों को भ्रमित किया है। वर्तमान सरकार धोखेबाज निकली जो केन्द्र सरकार द्वारा गठित कोशियारी कमेटी को लागू नहीं कर दरकिनार कर रही है। बैतुल, सतना, देवास, मंदसौर, नीमच, इंदौर, सागर, ग्वालियर आदि प्रदेश से आए हजारों पेंशनरों ने आव्हान किया कि एक ट्रेड यूनियन के भरोसे नही चला जा सकता। सभी ट्रेड यूनियनों को साथ मिलकर एक जाजम पर बैठकर सरकार का कड़ा विरोध करना होगा। घरों में बैठकर सरकार से नहीं लड़ा जा सकता सभी को बाहर निकलना होगा। हमें 1995  से 1998 की मांगों को दोहराना होगा। कहा था कि पेंशन की प्रतिवर्ष समीक्षा की जाएगी पर आज तक कोई समीक्षा नहीं की गई। श्री परसाई ने कहा कि हमें मिलकर लड़ाई लडऩा पड़ेगी मैं तन मन धन से आपके साथ हूं। अगर मार्च के पूर्व सरकार कोशियारी कमेटी की सिफारिश लागू नहीं करती तो हमें तगड़ा आंदोलन करना होगा। इसके पश्चात ई.पी.एफ. ओ कमिश्नर भोपाल को ज्ञापन दिया गया जिसमें मांग की गई कि ज्ञापन में देश में एक पेंशन प्रणाली लागू की जाए, पेंशन फंड की तीन लाख करोड की राशि शेयर बाजार में विनियोजित नहीं की जाए, पेंशन वृद्धि के संबंध में केन्द्र सरकार की कोशियारी कमेटी की सिफारिशें पूर्णत: लागू की जाए। पेंशन की गणना 1971 से की जाए। पेश्ंानरों को न्यूनतम 3 हजार पेंशन व 3 हजार महंगाई भत्ता दिया जाए। ट्रस्ट से संबंधित टाटा कंपनी के कर्मचारियों को पूर्ण पेंशन का लाभ दिया जाए। पूर्व में 1995 में यह तय किया गया था कि प्रतिवर्ष समीक्षा की जाएगी। परंतु 22 वर्ष से आज तक कोई समीक्षा नहीं की गई। 
13 नवम्बर 2012 को राज्यसभा के सभापति द्वारा रिपोर्ट नं. 147 दस सांसदों की समिति द्वारा प्रस्तुत की गई थी जो कि 2013 में अपनी रिपोर्ट देकर लागू की जाना थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान वर्तमान सरकार ने भी न्यूनतम पेंशन 3 हजार व 3 हजार महंगाई भत्ता देने का वादा किया था जो पाँच वर्ष व्यतीत होने पर भी यह रिपोर्ट नहीं की गई। ऐसा नहीं कि सरकार के पास फंड नहीं है। हमारा ही फंड 3 लाख करोड जमा है इससे सालाना 19 हजार करोड ब्याज कमाया जाता है। पेंशन मात्र 7 हजार करोड बटती है, हमारा निवेदन है कि 60 लाख पेंशनरों के लाभ हेतु राज्य सभा व केन्द्र सरकार इस पर सहानुभूतिपूर्वक चर्चा कर न्यायोचित निर्णय लेवें। 
सरकार द्वारा सांसदों, विधायकों को 50-50 हजार रूपये पेंशन के लिए तत्काल मंजूर कर ली जाती है और हमारी पेंशन मंजूर करने के लिए 22 वर्ष लगा दिए गए । 
अंत में यह निर्णय लिया गया कि फरवरी के अंत तक दिल्ली में एक उग्र आंदोलन के लिए सभी पेंशनरों को तैयार रहना होगा। इ
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