*बडवानी से कपिलेश शर्मा* – आचार संहिता की घोषणा होते ही राजनितिक दलों , और निर्वाचन आयोग की सक्रियता बढ़ गयी है , 28 नवम्बर को जनता अपना फैसला सुना देगी जिसका परिणाम ११ दिसम्बर को आएगा , इस चुनावी महाकुम्भ में दोनों ही दलों की भविष्य की दिशा व दशा तय होगी | एक और शिवराज का १५ वर्षो का शासन , तो दूसरी और कांग्रेस का इतना ही लम्बा वनवास , यह तय करना मुश्किल ही लग रहा है की मतदाता का रुझान किस और जाएगा , मुद्दे बहुत से है इस चुनाव में भी बशर्ते विपक्ष इसे किस तरह भुनाए , वही सत्ता पक्ष के पास भी पेश करने हेतु कई विकास की इबारते है | सपाक्स , अजाक्स , आप , बसपा भी प्रदेश में अपने अपने मुद्दे लेकर जनता के बिच जा रही है इन सबकी प्रदेश में सक्रियता भी दोनों प्रमुख दलों के भविष्य की संभावनाओ में भूमिका निभा सकती है | बहरहाल जनता लुका छुपी का खेल खेल रही है , स्पष्ट किसी भी दल के लिए खुल कर बात करने से कतरा रही है | खेर राजनीति के इस सारे खेल में जनता रूपी ऊंट किस करवट बैठे कयास लगाना मुश्किल है , आखिर ये पब्लिक है सब जानती है | वर्तमान में पास जिले में 2 सीटे कांग्रेस के पास , 2 सीटे भाजपा के पास सुरक्षित है | राजपुर में कांग्रेस के बाला बच्चन जो की कमलनाथ की अगुवाई में वर्तमान में पुरे प्रदेश में कांग्रेस की कमान सम्हाले हुए है | बडवानी में रमेश पटेल जिसने भाजपा की परंपरागत सीट पर प्रेमसिंह पटेल को हराकर हथयाई थी | सेंधवा में अंतरसिंह आर्य ३ बार से भाजपा विधायक है ,केबिनेट मंत्री भी है , वही पानसेमल से दीवानसिंह पटेल है जो की भाजपा के विधायक और आदिवासी नेता के रूप में परिचित है |
बडवानी में गुटों में बंटी कांग्रेस , भाजपा का चेहरा तय करेगा मतों की दिशा
राजनीति पंडितो की माने तो जनता इस बार खामोश है , एक तरफ भाजपा का 15 वर्षो के शासन वही दूसरी और कांग्रेस के इन वर्षो में जनता के दिलो में कितनी पेठ बनाने में कामयाब हुई उसकी परीक्षा है | फिर भी बडवानी में भाजपा के चेहरे पर बहुत निर्भर करेगा पार्टी किसे टिकट देती इस बात पर जनता का रुझान प्रभावित होगा , क्योकि वर्तमान में कांग्रेस में रमेश पटेल के एक गुट द्वारा विरोध और जिला अध्यक्ष दरबार असक्रियता के विरोध को लेकर बटी बटी सी नजर आ रही है , एक गुट राजन मंडलोई की मांग रहा है , तो वही एक गुट फिर से रमेश पटेल को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग कर रहा है ऐसे में गुटबाजी में बंटी कांग्रेस से भाजपा को फायदा पंहुच सकता है , हलाकि भाजपा भी यहाँ कोई मजबूत नहीं नजर आ रही है , पूर्व विधायक प्रेमसिंह पटेल जरुर समय समय पर सक्रियता बताते रहे है , परन्तु कुल 5 वर्षो में कांग्रेसी विधायकी इस सीट पर हावी रही है | भाजपा का चेहरा बहुत कुछ तय कर सकता है | भाजपा यहाँ फिर से प्रेमसिंह पटेल पर दाव आजमा सकती है |
**भाजपा को “विकास” से उम्मीद ……*
*कांग्रेस को आंस…… जनता की ख़ामोशी देगी जवाब…….**
जिले की राजनीति को शुरुवात से ही सेंधवा से संचालित माना जाता रहा है , चारो विधानसभा में सबसे बड़ी विधानसभा सेंधवा पुरे जिले को अपने समेटे रही है , वर्तमान विधायक अंतरसिंह आर्य उमा भारती की भाजपा की प्रदेश में वापसी वाली सरकार से ही मंत्री पद सम्हाले हुए है , १५ वर्षो की विधायकी और करीब इतने वर्षो की मंत्रियत ने आर्य और सेंधवा को एक अभेद किले के रूप में स्थापित किया हुआ है , कांग्रेस दिन प्रतिदिन खिसकती रही है , पिछले चुनावो में कांग्रेस की गुटबाजीया , प्रचलन में बोले जाने वाले फूल छाप कांग्रेसीयो का मुद्दा , सशक्त नेताओ की सक्रियता का अभाव , इत्यादि ने सेंधवा में कांग्रेस को हासिये पर ला खड़ा कर दिया था , जिसे कुछ युवा नेता और अंदरूनी तौर पर वरिष्ट नेता अब पुनः बनाने में कामयाब हुए है | इन सब के बिच क्षेत्र में लोगो की हर तरह की मदद करने को लेकर पहचान बना चुके संजय यादव जैसे दबंग बाहुबली नेता का साथ मिलना भाजपा को ताकत जरुर प्रदान कर गया ,बहरहाल क्ष्रेत्र में यादव के वर्चस्व को जनसाधारण में लोकप्रियता के तौर पर जरुर स्वीकार लिया गया हो जिसका फायदा तो भाजपा को जरुर मिलेगा पर बड़े पैमाने पर वोटो के समीकरण में भाजपा को इसका कितना फायदा मिलता है इसका आकलन चुनाव के बाद ही तय होगा | हलाकि जिले की चारो विधानसभा में अन्य तीनो की अपेक्षा सेंधवा ज्यादा मजबूत सीट के रूप में दिखाई दे रही है पार्टी भी इस सिट को लेकर काफी हद तक अपने पाले में मान रही है , मगर कुछ दिनों से बलवाडी जैसे मजबूत वोट बैंक के क्षेत्र से पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं मिले है , जहा पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले मनोज ठाकरे और ताराचंद राठोर के मध्य उपजे विवाद से पार्टी के लिए चिंता बढ़ी है | तो धनोरा चाचरिया बेल्ट के कद्दावर नेता हेमंत बंसल का अचानक इस्तीफा देना , साथ ही पार्टी में घुटन जैसे हालातो का जिक्र करना भी कही न कही भाजपा के लिए सोचनीय स्थिति पैदा कर गया | इन सबके बिच कांग्रेस को सेंधवा विधानसभा में भाजपा की एंटी इंकमबेंसी , भाजपा के अंदरूनी कलह , और जनता की ख़ामोशी को अपने समर्थन में वोटो की तब्दीली से ही आंस है , जो की १५ वर्षो के शासन के बाद स्वाभाविक तौर उपजती भी दिखाई दे रही है | फिर भी इस चुनावी महाकुम्भ में जनता रूपी भगवान कब उठकर किस और अपनी दिव्य द्रष्टि डाल दे यह कहाँ नहीं जा सकता | ग्रामीण अंचल की बात करे तो यहाँ आर्य को टक्कर केवल ग्यारसीलाल रावत के द्वारा ही दिए जाने के कयास लगते रहे है , जो भूतपूर्व विधायक रहे है , और वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में रावत की पत्नी लता बाई है , तो खुद ग्यारसीलाल रावत भी जिला पंचायत में बतौर सदस्य सक्रिय है वही नए चेहरे की बात करे तो युवा कांग्रेस अध्यक्ष सिलदार सोलंकी , अन्य महतवपूर्ण दावेदारी में पूर्व जिला अध्यक्ष सुखलाल परमार की पत्नी सुभद्रा परमार ,नए चेहरे में गंगाराम सिंगोरिया, और भी कई कांग्रेस के ग्रामीण नेता टिकट को लेकर मांग कर रहे है जिनमे से किसी एक पर कांग्रेस अपनी किस्मत आजमा सकती है, जो की अपने अपने लीडर पर निर्भर है | बड़े नामो की बात करे तो हरचरण सिंह भाटिया , कय्यूम पटेल , राजेंद्र मोतियानी ,राजेंद्र रघुवंशी , अरुण ठक्कर , अभिषेक ठक्कर , प्रहलाद यादव , श्रवण मंगल एवं अन्य वरिष्ट शहरी , ग्रामीण कांग्रेसी नेताओं की इस चुनाव में एक मंच ,एक चहरे पर सक्रियता- असक्रियता भी महत्वूर्ण रूप से इस चुनाव में कांग्रेस की दिशा- दशा तय करेगी | सेंधवा से कोई अप्रत्याक्षित उलट फेर हो इस बात के भी कयास लगाये जा रहे है |
*पानसेमल में निवाली निभा सकती भूमिका*
पानसेमल सीट पर वर्तमान में दीवान सिंह पटेल विधायक है संभव है इस चुनाव में भी भाजपा का चेहरा वे ही हो , वही कांग्रेस को एक जनप्रिय चेहरे की तलाश है , निवाली को हाल ही में नगर पंचायत का दर्जा मिलने का श्रेय भाजपा चुनाव में भुनाती नजर आएगी , वही कांग्रेस को दीवानसिंह के आसपास के सलाहकारों से जनता की नाराजगी से फायदा मिल सकता है , राजपुर विधायक बाला बच्चन इस सीट पर पूर्व में विधायक रहे है , उनके समर्थक भी भाजपा के लिए परेशानि का सबब बनेंगे | ऐसे में स्वर्गीय कांता दीदी के निवाली की भूमिका इस सीट पर महत्वपूर्ण मानी जा रही है | कांग्रेस की और से निवाली जनपद अध्यक्ष विकास डावर , दुरसिंह खेडकर , प्रमुख रूप से दावेदारी कर रहे है |
*राजपुर में बाला की पकड़ को , भाजपा देवीसिंह के अनुभव या सांसद पटेल की सांसदी से दे सकती है चुनोती*
*भाजपा से गजेन्द्र सिंह पटेल का नाम भी चर्चा में*
राजपुर में कांग्रेस के बाला बच्चन के अलावा कांग्रेस से किसी नाम पर चर्चा बाला की राजनीति को चुनोती ही होगी , भाजपा में भुत पूर्व विधायक देवीसिंह पटेल , सांसद शुभाष पटेल और नए युवा नेता भाजपा के अजजा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह पटेल में से किसी एक चेहरे पर अपनी दावेदारी पेश करेगी , राजपुर सीट जहाँ कांग्रेस के लिए वर्चस्व की सीट के तौर पर देखि जा रही है , वही भाजपा इस सीट पर विजयी हासिल कर प्रदेश में कांग्रेस को आइना दिखाना चाहेगी , इस सीट पर भाजपा को अपनी शक्ति प्रदर्शित करना चुनोती होगी क्योकि इस सीट पर कांग्रेस बाला के न्रेतत्व के जरिये पुरे प्रदेश के आदिवासियों को साधने का सन्देश दे रही है | इस सीट पर भी जिलेवासियों की रहेगी नजर , जिले की राजनीति की दिशा तय करने में राजपुर सीट भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है |