
● देवेन्द्र मराठा
दिल्ली धमाके की गूंज अब महू तक पहुँच चुकी है। जहाँ कभी लोग नमाज़ और ज्ञान की बातें करते थे, वहीं अब आतंक का साया मंडरा रहा है। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी, जहाँ से मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी पढ़ाता था, उसका चेयरमैन जवाद सिद्दीकी महू का ही निकला! कभी इंसानियत और शिक्षा का रास्ता दिखाने चला था, लेकिन अब वही शक के घेरे में है। डिग्रियों और दाढ़ियों के पीछे छिपे ये चेहरे अब सवाल बन गए हैं —क्या ये इंसान हैं… या इंसानियत के कब्र खोदने वाले दाढ़ी वाले शैतान?
दिल्ली धमाके के मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी का कनेक्शन अब मध्य प्रदेश के महू से जुड़ गया है।
उमर फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था, जिसका चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी महू का रहने वाला है। इसी यूनिवर्सिटी में आतंकी गतिविधियों में पकड़ा गया डॉ. मुजम्मिल शकील भी एसोसिएट प्रोफेसर रहा है। यह यूनिवर्सिटी अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट चलाता है, जिसकी नींव भी जवाद ने ही रखी थी। जांच में सामने आया कि जवाद ने पहले अल-फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम पर मुनाफे का लालच देकर लोगों से निवेश कराया, फिर गड़बड़ी के बाद 2001 में परिवार समेत दिल्ली भाग गया और वहीं कॉलेज खोल लिया। महू पुलिस के मुताबिक, जवाद का घर अब खाली है गेट पर ताला और दीवारों पर सन्नाटा। एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी ने बताया कि जवाद और उसके परिवार की पुरानी गतिविधियों की जांच चल रही है। कभी पिता शहर के काज़ी थे, और बेटा आज कानून के शिकंजे में है। ज्ञान का गढ़ अब शक का ठिकाना बन चुका है- जहाँ डॉक्टर के हाथ दुआ के लिए उठते थे, अब वही साजिश रचने में लगे हैं। ये हैं वही महू के दाढ़ी वाले शैतान-जो सफेद कोट पहनकर खुद को फरिश्ता बताते थे, लेकिन इनके दिलों में दया नहीं, दरिंदगी पल रही थी।जहाँ इलाज होना था, वहाँ इंसानियत को ज़हर पिलाया गया। जहाँ बच्चों को किताबें पढ़ाई जानी थीं, वहाँ बारूद का सबक सिखाया गया।महू की गलियों से लेकर दिल्ली तक, इन दाढ़ी वाले शैतानों ने धर्म की आड़ में आतंक बोया।जिनके होंठों पर खुदा का नाम था, उनके हाथों पर खून के निशान हैं।डॉक्टरों के बीच जो कभी भगवान कहे जाते थे। अब वही इंसानियत के दुश्मन कहलाने लायक हैं।और सवाल बस इतना है,अगर ये दाढ़ी वाले शैतान हैं, तो फिर इंसानियत कहाँ बची है?