66 वां हिंदी दिवस हिंदी में है सौंदर्य हिंदी से है रोजगार

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66 वां हिंदी दिवस

हिंदी में है सौंदर्य हिंदी से है रोजगार
बड़वानी 14 सितम्बर/हिंदी की मिठास और इसका सौंदर्य अद्भुत है। हिंदी साहित्य और हिंदी सिनेमा के प्रति आकर्षण भारत में ही नहीं पूरे विष्व में है। प्रेमचंद, नरेंद्र कोहली, धर्मवीर भारती जैसे साहित्यकारों द्वारा प्रयुक्त और विकसित हिंदी को पढ़कर अप्रतिम आनंद की अनुभूति होती है। साथ ही हिंदी भाषा के ज्ञान के आधार पर देष-विदेष में रोजगार के अवसरों की भी कमी नहीं है। यह सौंदर्य और रोजगार दोनों की भाषा है। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन दो सौ से अधिक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कॅरियर काउंसलर डाॅ. मधुसूदन चैबे, एम.ए. हिंदी साहित्य ने कहीं। ज्ञातव्य है कि 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा में हिन्दी को राजकीय कार्यों की भाषा बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था। इसीलिये 1953 से 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है। आज 66 वां हिंदी दिवस है। यह आयोेजन प्राचार्य डाॅ. सी.एल. खिंची एवं उपप्राचार्य डाॅ. एन.एल. गुप्ता के मार्गदर्षन में किया गया।
बताये कॅरियर के अवसर
डाॅ. चैबे ने बताया कि स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी भाषा एवं साहित्य का अध्ययन करके आगे बी.एड., पीएच.डी., नेट, नेट जेआरएफ करके विद्यालयीन और महाविद्यालयीन षिक्षा में षिक्षक के रूप में कॅरियर बनाया जा सकता है। पत्रकार, संवाददाता, संपादक, सूत्रधार, लेखक, अनुवादक, टंकक, आषुलिपिक आदि अनेक रूपों में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। कई देषों में हिंदी के अध्यापन की व्यवस्था है, अतः हिंदी षिक्षक के रूप में विदेषों में सेवा देने के स्वप्न को भी पूरा किया जा सकता है। आर्थिक उदारीकरण के उपरांत कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप धारण कर लिया है। ऐसे में हिंदी जानने वालों की मांग कंपनियों में भी बढ़ रही है।
कविता का किया पाठ
डाॅ. चैबे ने इस अवसर पर हिंदी के संदर्भ में लिखी गई स्वरचित कविताओं का पाठ करते हुए सुनाया कि हिंदी ने मुझे रोटी दी, हिंदी से सम्मान मिला, हिंदी के आचंल से दुनियादारी का ज्ञान मिला। प्रखर राष्ट्रवाद का समंदर हिंदी में है, रामधारीसिंह सा धुरंधर हिंदी में है।
जिज्ञासाओं का किया समाधान
आयोजन में विद्यार्थियों ने हिंदी लेखन में आने वाली समस्याओं से संबंधित प्रष्न किये। उनकी जिज्ञासाओं का कॅरियर सेल की टीम ने समाधान किया और कहा कि शुद्ध हिंदी लेखन पर निरंतर कार्य किया जाता रहेगा।
परिश्रम की ली शपथ
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने शपथ ली कि वे हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करेंगे तथा अपने हिंदी ज्ञान के परिमार्जन हेतु निरंतर परिश्रम करेंगे।
आयोजन में सहयोग किरण वर्मा, राहुल मालवीया, शुभम सेन, पवन परिहार, प्रीति गुलवानिया, अंतिम मौर्य, भारती धार्वे, संजय सोलंकी ने किया।

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