इन्दौर। साहित्य के उत्थान को लक्ष्य रखकर रबिन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय व आईसेक्ट द्वारा स्थापित वनमाली सृजन पीठ की इन्दौर शाखा का उद्घाटन सोमवार को मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल, अध्यक्षता प्रो. रुपाली सारये, विशिष्ट अतिथि मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ व प्रो. अखिलेश राव के कर कमलों से हुआ। कार्यक्रम में स्वागत उदबोधन क्षेत्रीय संचालक अभिजीत चौबे ने किया।
विशेष अतिथि डॉ. अखिलेश राव ने अपने संबोधन में कहा कि ‘माखन दादा और चौबे जी के एक केंद्र खण्डवा से ही वनमाली की यात्रा जुड़ी है। अब इन्दौर में शाखा के माध्यम से साहित्य समाज में ऊर्जा बढ़ेगी।
विशिष्ट अतिथि डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने कहा कि ‘शहर इन्दौर आयोजन मूलक शहर बन रहा है, चूँकि प्रदेश की साहित्यिक राजधानी भी माना जाता है, ऐसे दौर में सृजन पीठ का दायित्व प्रयोजनमूलक अधिक हो। साथ ही, हिन्दी का समाज पाठकों से दूर हो रहा है, तब सृजन पीठ को सारथी की भाँति अपने रथ पर पाठक रूपी अर्जुन को बैठना होगा, तभी इस साहित्यिक महाभारत में विजय मिलेगी।
आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. योगेंद्र नाथ शुक्ल ने कहा कि’
साहित्य, कला ही हमारी भारतीय संस्कृति के प्राण हैं। हमारी इस संस्कृति को मुगल और अंग्रेज साम्राज्य नहीं मिटा पाए वह दुर्भाग्य से आज हम मिटते हुए देख रहे हैं। आज इस संस्कृति को बचाना ही सच्ची राष्ट्रीयता है। जो कार्य हमारा शासन अब तक नहीं कर पाया वह काम बखूबी “वनमाली” संस्था कर रही है। यदि ऐसी निष्ठावान संस्थाएं हर शहर में स्थापित हो जाएं तो आज भी समाज को बदला जा सकता है।’
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. रुपाली सारये ने सृजन पीठ की स्थापना पर बधाई देते हुए कहा कि शहर भी स्वीकार कर युवाओं के लिए अच्छे अवसर उपलब्ध करवाएं जाएँ तभी सार्थकता है।’
आयोजन में कवि पारस बिरला व यश पटेल ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मणिमाला शर्मा ने व आभार गंगा वर्मा ने माना।