अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ‘अनुष्ठान’ सम्पन्न
कविता चौराहे की नहीं बल्कि साहित्य मंदिर की माँ-डॉ. दवे
संस्कृति को साहित्य के माध्यम से बढ़ावा मिले- बाबा मौर्य
प्राचीन साहित्य को नई पीढ़ी तक लाना ज़रूरी है-आईजी मिश्र
इंदौर। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा आयोजित व यूनिवर्सल इंफ्राटेक द्वारा प्रायोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ‘अनुष्ठान’ स्थानीय प्रीतमलाल दुआ सभागृह में आयोजित हुआ, जिसमें बतौर विशिष्ट अतिथि पुलिस महानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्र (आईपीएस), साहित्य अकादमी, म.प्र. शासन के निदेशक डॉ. विकास जी दवे, अन्तर्राष्ट्रीय चित्रकार एवं कवि बाबा सत्यनारायण मौर्य, प्रधान संपादक प्रजातंत्र के हेमंत शर्मा मधुर जायसवाल, धनराज माहेश्वरी उपस्थित रहे। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ काव्य अनुष्ठान का आरंभ हुआ। इसके बाद कवि हेमंत श्रीमाल को ‘स्वर्णाक्षर सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
पुलिस महानिरीक्षक श्री मिश्र ने कहा कि ‘शहर में रचनाओं और कविता का अलग माहौल है, इसकी गूँज देश भर में हो रही है। प्राचीन साहित्य को नई पीढ़ी तक लाना ज़रूरी है और हिंदी को रोज़गार से जोड़ना अनिवार्य है।’
साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कहा कि ‘कविता चौराहे की नहीं बल्कि साहित्य मंदिर की माँ है, अनुष्ठान इसी तरह की कविता का मूर्त स्वरूप है।’
अंतर्राष्ट्रीय कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने बताया कि ‘साहित्य में अवसरों की आवश्यकता है, देश की संस्कृति को साहित्य में बढ़ावा देने की ज़रूरत है।’
कवि सम्मेलन का आरंभ शारदे वंदना से हुआ, जिसे कवयित्री श्रद्धा पोफली ने किया। काव्य उत्सव में ब्यावरा से राहुल कुम्भकार ने प्रेम और पूजन की कविताएँ पढ़ीं, उन्होंने सुनाया कि यहाँ बारिश के मौसम में बेले सूख जाती हैं, ज़रूरत से ज़्यादा ज्ञान मत दो अपने बच्चों को, ज़्यादा खाद-पानी से फसलें सूख जाती हैं।
इनके बाद जबलपुर से पधारे कवि एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अमित मौलिक ने माँ हिन्दी की वंदना करते हुए सुनाया कि ‘यह हिमालय-सा ऋण कभी हम चुका न पाएँगे, और बेटियों के सम्मान में कविता पढ़ी।
काव्य पाठ में नागपुर से आई श्रद्धा पोफली ने ओज रस की कविताएँ सुनईं। इन्दौर के लाडले और संयोजक कवि गौरव साक्षी ने मुक्तकों और कविता से युवाओं को जोड़ा। उन्होंने सुनाया कि ‘कहने को चार धाम हैं भारत में, पाँचवा धाम है अयोध्या में।’
हास्य की महफ़िल सजाते हुए राउ के कवि व देश के धुरंधर हास्य कवि अतुल ज्वाला ने माहौल में हँसी के फ़व्वारे उपस्थित कर दिए।
इसके बाद दिल्ली के कवि अमित शर्मा ने महाभारत का दृश्य अपनी कविता में बनाया। उन्होंने सुनाया कि ‘एक विधान, एक परिधान और एक संविधान होगा, लाल चौक की छाया में राष्ट्रगान होगा।’
अंत में शिखर कलश उज्जैन के वरिष्ठ कवि हेमन्त श्रीमाल जी ने रखते हुए चंबल की बेटी सुनाई। उन्होंने पढ़ा कि ‘कितनी बड़ी थी भूल हाय मैंने क्या किया, थाने में घुस कर ख़ुद को सुरक्षित समझ लिया।’
अनुष्ठान का प्रारंभिक संचालन अंशुल व्यास ने व कवि सम्मेलन का संचालन कवि अमित शर्मा ने किया। कवि सम्मेलन के उपरांत सभी हिन्दीयोद्धाओं का सम्मान किया गया। आभार मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने माना।
अनुष्ठान में बतौर सहयोगी खुलासा फ़र्स्ट, ओजल फ़ार्मा, वुमंस प्रेस क्लब व इन्दौर टॉक भी जुड़े हुए हैं। अनुष्ठान की आयोजन समिति में डॉ. नीना जोशी, शिखा जैन, शीतल रॉय, भावना शर्मा, नितेश गुप्ता, रमेश चंद्र शर्मा, विनीत शुक्ला, रोहित त्रिवेदी, शिव मालवीय, हरेश दवे, अंशुल व्यास, लव कुमार यादव, अमित अभ्यंकर, जलज व्यास, विघ्नेश दवे, ऋषभ कटारिया, हिमांशु भावसार आदि जुड़े हुए हैं।