● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
भारत की धरा को समृद्ध और तेजस्वी बनाने के लिए, विचारधारा के अस्तित्व को स्थायी करने के लिए, दुश्मनों की गुर्राती आँखों में खटकने के लिए, कण-कण में राष्ट्रभावों के बीजारोपण और सिंचन के लिए, अद्भुत और अतुल्य भारत के नव-निर्माण के लिए, राजधर्म के अनुपालन के लिए, राम राज्य की परिकल्पना के क्रियान्वयन के लिए, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए, पोखरण के परमाणु परीक्षण के लिए, स्वर्णिम चतुर्भुज के निर्माण के लिए, कारगिल के युद्ध और जीत के लिए, कावेरी जल विवाद को सुलझाने के लिए, केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग के गठन के लिए, संसद में कविता की हुँकार भरने के लिए, दिनकर की काव्य गादी का संसद में वरण करने के लिए, राजनीति में गठबंधन के सुचारू संचालन के लिए, राजधर्म के अनंत अहम को खंडित कर कर्त्तव्य याद दिलाने के लिए और इनके साथ-साथ हज़ारों निर्णायक मोड़ पर राष्ट्र के परम वैभव की स्थापना की आधारशिला रखने के लिए काव्यकुल के केन्द्र अटल बिहारी वाजपेयी जी सदैव अटल ही रहे।
कविता को दासता से मुक्त कर पंद्रह अगस्त का मार्मिक चित्र खींचना हो चाहे इक्यावन कविताओं में सार को उकेर जाना हो, फिर मौत से ठन गई कहते हुए इस शरीर को आत्मा से जुदा कर देह परिवर्तन करने के लिए भी काव्यकुल के सशक्त हस्ताक्षर, भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी सदैव याद किए जाएँगे।
भारतीय राजनीति में युगपुरुष रहे अटल जी न केवल पक्ष के बल्कि विपक्ष के भी दिलों में उसी गहराई से छाप छोड़ जाते थे।
हर चुनाव के मौसम में अपने वैचारिक स्वांग और खाल में छुपने वाले राजनीति के क्षेत्रों पर वैचारिक तथ्य रखते हुए रणनीति बनाने में माहिर कुशल योद्धा अटल जी रहे, जिनके कार्यों को लेकर विपक्षी राजनेता भी तारीफ़ों के अलावा सलाहकार के रूप में अटल को स्वीकार करते हैं।
हिन्दी कविता को रामधारी सिंह दिनकर की विरासत बनाते हुए संसद की देहरी पर आशा का दीप रखने वाले राजनेता का नाम अटल बिहारी वाजपेयी रहा।
पाकिस्तान के गुर्राने को तनी हुई भौंहो से जवाब देकर भारती के मान को अक्षुण्ण रखते हुए राष्ट्र आराधना करते हुए जिसने गठबंधन को स्वीकार्यता दिलवाई, ऐसे राष्ट्रपुरुष को कोटिशः नमन।
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’
प्रधान संपादक, ख़बर हलचल न्यूज़
राष्ट्रीय अध्यक्ष, मातृभाषा उन्ननयन संस्थान, भारत
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