जलगाँव के सावखेड़ा गाँव में १० जुलाई से होगा प्रारंभ राज्य में पहली बार आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से युक्त यज्ञ

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108 कुण्डीय महायज्ञ में कांकरेज गाय के तीन टन घी की आहुति
जलगाँव के सावखेड़ा गाँव में १० जुलाई से होगा प्रारंभ
राज्य में पहली बार आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से युक्त यज्ञ

जलगाँव । महाराष्ट्र के जलगाँव शहर के तालुका पारोला, गाँव सावखेड़ा, राष्ट्रीय राजमार्ग नं.६ पर स्थित संत इंद्रदेवजी महाराज आश्रम में ता.10-16 जुलाई 2019 के बीच किसानों की समृद्धि हेतु तथा लोगों के आरोग्य हेतु 108 कुण्डीय महायज्ञ एवं भागवत कथा का आयोजन किया गया है ऐसी जानकारी संत श्री इंद्रदेवजी महाराज ने जलगाँव आश्रम में आयोजित पत्रकार परिषद् में दी |
इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य है किसानों द्वारा सूखा के कारण हो रही आत्महत्याएँ | वर्तमान में भारत भर में महाराष्ट्र राज्य पानी की कमी से अत्यंत ग्रस्त है और नियमित रूप से वर्षा होती रहे इस विशेष हेतु से इस वृष्टि महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है | साथ ही 2030 तक 10% मधुमेह रोगी तथा 70 प्रतिशत कैंसर पीड़ित रोगियों की संख्या में वृद्धि होने के आसार हैं इसलिए रोगों से मुक्ति हेतु भी “रोग मुक्ति अभियान” के अंतर्गत इस महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है | वातावरण में विद्यमान ओज़ोन परत में वायु प्रदूषण से छिद्र होते जा रहे हैं जिसे पाटने की क्षमता केवल और केवल भारत के प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा दी गए यज्ञ विज्ञान में ही है | छ: दिनों तक चलने वाले इस यज्ञ में निरंतर घी की धाराएं चलती रहेगी जिससे ओषजन (प्राणवायु) का निर्माण होगा और जो समस्त वातावरण को प्राणवायु से भर देगी और वर्षा करने में सहायक होगी | यही प्राणवायु यज्ञ में सम्मिलित यजमान अर्थात यज्ञकर्ताओं के रोम-रोम में उतरकर उनके शरीर में वर्षों से एलॉपथी तथा अन्य दवाइयों के प्रभाव को नष्ट करेगी तथा उन्हें रोगों से मुक्त करेगी |
६ दिनों तक चलने वाला यह 108 कुण्डीय महायज्ञ उत्तम आचार्यों द्वारा संपन्न कराया जाएगा जो काशी से पधारेंगे | उक्त यज्ञ में हिमालय की विशेष जड़ी-बूटियाँ सामग्री रूप में आहूत की जाएंगी | इसी यज्ञ में तीन टन कांकरेज गाय के दूध से निर्मित घी की आहुतियाँ दी जाएगी | यह घी राजस्थान राज्य से मँगाया जा रहा है तथा विविध औषधोपयोगी सामग्री 12 टन तौल की होगी | अलग-अलग शहरों तथा गाँवों से इन समस्याओं से निपटने हेतु कई टनों की समिधाओं को एकत्रित किया गया है | इनमें पीपल, बरगद, आम, चंदन, बेल आदि काष्ठ का समावेश है | इस यज्ञ का प्रभाव यज्ञ स्थल से 200 कि.मी. की दूरी तक देखा जा सकेगा | इसकी तैयारी पिछली ३ महीनों से चल रही है, बंगाल तथा उत्तर प्रदेश से आए कर्मचारी तैयारियों में लगे हैं | इस यज्ञ में सम्मिलित होनेवाले बाहर से आनेवालों भक्तों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है | १० जुलाई को अग्नि मंथन होगा तथा पास के गाँव परोला के बालाजी मंदिर से शोभायात्रा निकलेगी तथा समस्त गाँव में शोभायात्रा घूमेगी जिसमें महाराष्ट्र के १०८ वारकरी सम्प्रदाय के कीर्तनकार तथा देश भर से १०८ साधू-संन्यासियों की उपस्थिति होगी | इस महान आयोजन में आचार्य बालकृष्ण जी तथा अन्ना हज़ारे के पधारने की संभावना है | इसी तरह के महायज्ञ का आयोजन फरवरी माह में गोवर्धन (वृन्दावन) में भी करने की योजना है |
वर्तमान में भारत में योगगुरु स्वामी रामदेव जी तथा स्वयं स्वामी श्री इंद्रदेवजी महाराज प्राचीन ऋषि परंपरा के वैदिक धर्म प्रचारक, यज्ञ प्रधान वैदिक संन्यासी हैं | जलगांव (सावखेड़ा) स्थित श्री इंद्रदेवजी महाराज आश्रम में भी वैदिक धर्म का अभिन्न अंग प्रतिदिन दोनों समय नित्य ‘अग्निहोत्र यज्ञ’ किया जाता है जिसका परिणाम स्वयं संत श्री इंद्रदेवजी महाराज ने दिखाया कि यज्ञ के प्रभाव से उनके आश्रम के पेड़-पौधों की हरीतिमा आस-पास के परिसर की हरियाली से अत्यंत भिन्न है तथा सम्पूर्ण उत्तर महाराष्ट्र की तुलना में उनके क्षेत्र में जल आपूर्ति में कोई कमी नहीं है | इस यज्ञ में भारत तथा विदेशों से सभी लोगों को अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होने का आह्वान संत जी ने किया है |

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