देवास जिला चिकित्सालय गन्दगी एव आवारा पशुओं की चारागाह बना….मंत्री, कलेक्टर के दौरे भी साबित हुए बेअसर।

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प्रिन्स बैरागी

देवास– महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय जिसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। आए दिन किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में बना ही रहता है। चाहे व्यवस्था हो, चाहे पैसे मांगने का मामला हो, या फिर वाहन पार्किंग की बदहाल व्यवस्था हो। प्रदेश में सत्ता बदल गई। सब कुछ बदल गया । लेकिन नहीं बदला तो बस महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय का अपना लापरवाही पूर्ण रवैया। चिकित्सालय परिसर चारो और आवारा मवेशी बेखौफ होकर घूम रहे हैं ।और सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी यह नजारा देख रहे हैं । चिकित्सालय परिसर में कई जगह भारी गन्दगी देखी गई । जहां पर खुलेआम सूअर घूमते देखे जा सकते है। मरीजों के परिजन परिसर में खाना खा रहे हैं वही उनके बाजू में ही मवेशी और सुअर घूमते देखे जा सकते है। मगर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा । गौरतलब रहे कि स्वच्छता सर्वेक्षण मिशन में देवास को देश में दसवां स्थान मिला है। लेकिन महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय में में यदि नजर घुमाई जाए तो यह सवाल खड़ा होता है। कि आखिर किस मापदंड के आधार पर देवास को दसवां स्थान दिया गया । जब जिले का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल ही गंदगी और आवारा मवेशियों से मुक्त नहीं है। तो फिर सारे जिले एवं शहर की तो बात ही छोड़ दें। यहां वहां हर जगह कदम कदम पर मवेशी ऐसे स्वच्छंद घूम रहे हैं । जैसे किसी खुले चारागाह में विचरण कर रहे हो। और जिम्मेदार है। कि खुलेआम यह सब देख रहे हैं। इन सब मुद्दों पर जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विजय कुमार सिंह से बात की गई तो उनका कहना है कि मुझे भी अस्पताल प्रबंधन के विषय मे काफी जानकारी सुनने को मिली है और में हर सम्भव प्रयास करूंगा कि यह आने वाले मरीजो को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सके। साथ ही उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी का सामना नही करना पड़े। चिकित्सालय में व्याप्त समस्याए एव डिलीवरी के दौरान पैसे मांगने के सवाल पर डॉ सिंह ने कहा कि यदि मेरे पास इस विषय मे शिकायत आती है। तो में दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करूंगा। साथ ही डॉ सिंह ने यह भी बताया कि स्टाफ की कमी के कारण भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब रहे कि खुद जिला चिकित्सालय अव्यवस्था की बीमारी से ग्रसित है । तो यहां पर आमजन की बीमारी का क्या इलाज होगा…? चिकित्सालय को खुद इलाज की आवश्यकता है । ऐसे में मरीजों का किस तरह इलाज हो पाएगा इस बारे में कुछ कहना संभव नहीं होगा । कुल मिलाकर यदि कहा जाए तो मंत्री, कलेक्टर एवं अधिकारी चाहे कितने ही अस्पताल के चक्कर लगाकर निरीक्षण करले ले या आदेश दे । लेकिन अस्पताल प्रबंधन तंत्र ने एक ही बात ठान रखी है कि हम नहीं सुधरेंगे चाहे कुछ भी कर लो। अब देखना ये है कि नए मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सिंह बेलगाम हो चुकी व्यवस्था को किस तरह पटरी पर ला पाते है।

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