खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में – नागर

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खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में – नागर

टोंकखुर्द। जीवन एक यज्ञ है और इस यज्ञ का प्रसाद है मानवता जो कल्याण का विचार लेकर चलता है दुनिया में उसकी दुर्गति नहीं होती वर्तमान समय में देवासुर संग्राम एवं महाभारत काल जैसी परिस्थिति निर्मित हो रही है मनुष्य की जीवन शैली चिंतन शैली में जिस तरह स्वार्थ संकीर्णता निकृष्टता और लोलुपता का समावेश हो गया है उसका परिणाम सुखद व वीभत्स कहा जा सकता है यह विचार दिनांक 20 जनवरी को ग्राम बाला खेड़ा में आयोजित एक दिवसीय अमृतवाणी सत्संग में श्री राम शरणम् के श्री इंदरसिंह नागर जी ने व्यक्त किए उन्होंने कहा कि जो कल्याण का मार्ग लेकर चलता है दुनिया में उसकी दुर्गति नहीं होती यदि मन में प्रेम नहीं व्यवहार में निर्मलता नहीं शालीनता नहीं उपलब्धियों पर सन्तोष नहीं श्रम के प्रति लगाव नहीं सत्य के प्रति आग्रह नहीं उसे परमात्मा की कृपा की आशा नहीं करनी चाहिए यदि अच्छे उपजाऊ खेत को कुछ वर्षों तक यूं ही छोड़ दिया जाए तो वहां जंगल का निर्माण हो जाता है इसीलिए अपने विहित कर्म करते हुए जीवन में सेवा भक्ति का भाव बनाए रखना चाहिए निंदा नफरत द्वेष छल कपट अहंकार व्यक्ति को कहीं का नहीं रहने देता अहंकार के वृक्ष पर विश के फल लगते हैं जो स्वयं को ही खाना पड़ते हैं “हरदम यू ना बैठे रहो शोहरत की इमारत में कभी कभी खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में” सत्संग में अमृतवाणी का पुण्य पाठ हुआ भजन हुए राम नाम का अखंड जप व ध्यान हुआ जिसमें क्षेत्र से पधारे सैकड़ों साधकों ने सत्संग का लाभ लिया श्री राम शरणम् के साधकों ने भजन कीर्तन प्रस्तुत किए विशेष रूप से क्षेत्र के प्रसिद्ध भजन गायक एडवोकेट श्री सौदान सिंह ठाकुर ने भी सुंदर भजन प्रस्तुत किए आयोजन समिति के श्री गजराजसिंह पटेल ने सत्संग में आए समस्त भाई बहनों का आभार प्रकट किया शाम 5:00 बजे महा आरती हुई और प्रसाद वितरण की गई

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