मर्यादा का पालन करना ही प्रभु राम की सच्ची सेवा है- संत श्री आनंदगिरी जी महाराज

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मर्यादा का पालन करना ही प्रभु राम की सच्ची सेवा है- संत श्री आनंदगिरी जी महाराज
देवास। सबसे पहले रामायण भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाते हुए पृथ्वी पर प्रभु के अवतार के 5 कारणों का वृतांत बताया। जिनमें प्रमुख रूप से जय विजय के अभिमान को नष्ट करना , सती वृंद द्वारा मिले श्राप के कारण, तीसरा कारण नारदजी ने कामदेव को जीता उनके मोह को भंग करने पर नारदजी द्वारा नारायण को मिला श्राप, राजा मनु के तप के प्रतिफल में अगले जन्म में पुत्र के रूप में भगवान का जन्म, प्रताप भानु राजा की कथा वृतांतों से प्रभु राम के जन्म की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए संत श्री आनंदगिरी जी महाराज ने क्षिप्रा में हो रही श्रीराम कथा के तीसरे दिन कहा कि राम कथा नियमों की श्रृंखला है संसार में रहकर गृहस्थाश्रम का पालन करते हुए जीवन को जीने की कला है। प्रभु राम की भक्ति सरल है, किंतु मर्यादा का पालन करने वाला ही उनका सच्चा सेवक होता है। राम कथा श्रवण करने से परिवार में प्रेम उत्पन्न होता है और जिस परिवार में आपस में प्रेम होता है जो संसार से प्रेम करता है। ऐसा प्रेम ही श्रेष्ठ व्यक्ति बनता है। परिवार देखना तो शिवजी का देखें जहाँ शिवजी की सवारी नंदी और माँ पार्वती की सवारी शेर एक साथ रहते हैं। शिव के साथ नाग और गणेश के साथ चूहा, कार्तिकेय के साथ मोर सब एक दूसरे के शत्रु है किंतु यह परिवार की मर्यादा है जहां सब एक साथ रहतेे हैं। 
प्रभु श्रीराम के जन्म की कथा का सुंदर वर्णन करते हुए अनेक आध्यात्मिक विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि इस समय देश में हनुमानजी को लेकर बयानबाजी चल रही है। उन लोगों को मेरा कहना है कि आओ राम कथा को सुनो तो पता चल जाएगा कि हनुमान जी कौन है। 
श्रेष्ठ संस्कार ही सुमति प्रदान करती है 
हमारे देश के युवा अपने माता पिता की सेवा करने का तात्पर्य केवल धन कमाने को मानते हैं।  जिस माता पिता ने अपने बच्चों को 8 से 20 वर्ष की आयु में श्रेष्ठ संस्कार दिये वही बालक श्रेष्ठ गुणों से परिपूर्ण होकर धन कमा कर अपने माता पिता की सच्ची सेवा कर सकता है। हमारे बच्चों में श्रेष्ठ संस्कार पैदा करने के लिए उन्हें आध्यात्म की ओर प्रेरित करना होगा। हमारा आध्यात्म और धर्म एक ऐसा विज्ञान है जो श्रेष्ठ चरित्र का निर्माण करता है। संस्कार ही सुमति प्रदान करती है। हमारी सनातन संस्कृति में जिसका दूध पीते हैं उसे माँ मानते हैं जिस गाय और बकरी का दूध पीते है उसका वध करना हमारी संस्कृति के विनाश का कारण है। 
प्रभु श्रीराम के जन्म के प्रसंग के दौरान कथा मंच पर जब दशरथ बने अंकित अग्रवाल और कौशल्या बनी राधिका अग्रवाल बाल स्वरूप प्रभु राम को लेकर आए तो श्रोताओं ने जय श्रीराम के उद्घोष के साथ फूलों की वर्षा की और बधाई गीत पर झूमते हुए कृत्य करने लगे। 
इस अवसर पर श्री श्री विद्याधाम पीठेश्वर महामण्डलेश्वर संत श्री चिन्मयानंद सरस्वती ने आकर प्रवचन देते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि प्रभु ने संत श्री आनंदगिरी जी महाराज के मुख से कथा सुनने का अवसर प्रदान किया। कथा में बतौर अतिथि म.प्र. शासन के पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने स्वमीजी से आशीर्वाद लिया और अपने उद्बोधन में कहा कि जहां राम कथा होती है वहां कथा सुनने जाना तीर्थ करने के समान होता है।
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