स्वयं सृष्टि रचियता से उनका प्रमाण मांगना नैतिक दृष्टता -साध्वी अखिलेश्वरी*

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# *स्वयं सृष्टि रचियता से उनका प्रमाण मांगना नैतिक दृष्टता -साध्वी अखिलेश्वरी*
*भागवत कथा में व्यास पीठ से किया संबोधित*
*बड़वानी से कपिलेश शर्मा :* राजपुर 25 दिसंबर
लगभग दो हजार वर्ष पहले बड़ा दिन यानी 25 दिसंबर को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता था । कुशवाह धर्म शाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्री राम व कृष्ण के जन्म दिवस के प्रसंगों को प्रारम्भ करने से पहले बड़े दिन की शुभकामनाएं देते हुए दीदी मां अखिलेश्वरी जी ने समझाया ।

उन्होंने कहा कि हर 65 वर्ष के बाद आगे सरक कर संक्रांति 12 जनवरी को मनाया जाने लगा था ,जिसे हम स्वामी श्रीविवेकानंद जी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है ।इसी दिन उनके गुरु भाई अखण्डानन्द जी ने अपने शिष्य को दीक्षा भी इसी दिन दी गई थी। धीरे धीरे इसकी तारीख बदलकर 14 से और 15 जनवरी हो गई।

आज दीदी मां ने सूर्य वंश व चन्द्र वंश में जन्में श्री राम कृष्ण के जन्म दिवस प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि श्रीराम सृष्टि व सनातन धर्म के रचियता (हस्ताक्षर ) स्वयं है । और उन्ही के राष्ट्र में रहकर उनका प्रमाण मांगना बहुत ही नैतिक दृष्टता है। आप अपने स्वयं के जन्म होने का प्रमाण स्वयं के रूप ही दे सकते हो। परमसत्ता जिन्होंने हमें रहने के लिए सुंदर संस्कृति से परिपुर्ण राष्ट्र बिना मांगे ही दे दिया और वो ही लोग आज स्वयं श्री राम की जन्म भूमि पर उनको प्रतिस्थापित करने के लिए आपस मे लड़ तर्क व वितर्क कर रहे है ।और उन्ही के घर से बाहर उन्हें टेंट में विराजित किया है। जो कि सनातन धर्म व राष्ट्र की संस्कृति नही है।आज यदि राष्ट्र एक होकर राम मंदिर निर्माण का पक्ष रखता तो मन्दिर बहुत पहले बन जाता।पर छोटी छोटी बातों के लिए लड़ कर अलग अलग हो गए। और सनातन धर्म को हानि पहुचाते रहे।
प्रभु कृष्ण का जन्म दिवस का उल्लास मनाते हुए सभी भक्त लोगों को दीदी मां ने बताया कि
हमारा सनातन धर्म व संस्कृति सभी महापुरुष या महान व्यक्तियों के जन्म उत्सव को अधिक महत्व दिया जाता है या मनाया जाता है ।जबकि अन्य पश्चिम जगत से आए उत्सव में पूजा पद्धति में उनकी मृत्यु व शोक को मनाया जाता है।

दीदी मां ने हमारे सनातन धर्म के महत्व को बताते कहा कि हमारा धर्म अति प्राचीन व सर्वश्रेष्ठ धर्म है । और ईश्वर ने जिसको जिस उपासना पद्धति में जन्म दिया है, उसी में अपना विकास है मुक्ति है गौरव का भाव है। स्वधर्म में मरना भी श्रेष्ठ है। इसलिए किसी के द्वारा दी गई सहायता या लालच में आकर अपना सनातन धर्म नही छोड़ना चाहिए।अपना मत पंथ बेचकर मतांतरण नही करना चाहिए। दीदी मां ने कहा कि धर्म मतान्तरण, संवैधानिक, सामाजिक व ईश्वर के प्रति अपराध है।आप सभी धर्म का सम्मान करिए पर साथ में अपनी सुरक्षा भी।
आज कृष्ण जन्म उत्सव होने से भक्तगणों में बहुत उत्साह था प्रभु जे जन्म की प्रसन्नता में भक्त श्रोताओं ने बड़े ही उत्साह पूर्वक नृत्य किया व जय कारे लगाए।

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