रीडर को रिश्वत लेने के आरोप में 04 वर्ष का सश्रम कारावास*

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*सहायक ग्रेड-3 को रिश्वत लेने के आरोप में 04 वर्ष का सश्रम कारावास*
*बड़वानी से कपिलेश शर्मा* -/प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश बड़वानी श्री समीर कुलश्रेष्ठ के विशेष सत्र प्रकरण मे आरोपी अनिल सोहनी पिता स्व. श्री विजय कुमार सोहनी सहायक ग्रेड-3 रीडर टू नायब तहसीलदार राजपुर जिला बड़वानी को धारा 13(1)(डी), 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मे 04-04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 4000 जुर्माना एवं धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मे 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 3000 रूपये के जुर्माने से दण्डित किया। प्रकरण मे पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री महेश पटेल एवं अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री दुष्यंतसिंह रावत बड़वानी द्वारा की गई।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री महेश पटेल बड़वानी द्वारा बताया गया कि घटना का विवरण इस प्रकार है कि- 28 फरवरी 2014 को आवेदक सेवकराम पिता श्री गलसिंह अवासे निवासी ग्राम लिम्बई ने लोकायुक्त कार्यालय इंदौर मे उपस्थित होकर एक आवेदन पत्र मय सहमति पत्र के श्रीमान पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त इंदौर को कार्यालय मे इस आशय का पेश किया था कि आवेदक के परिवारजनो तथा मित्रों के परिवारजनों ने म.प्र. शासन की मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंर्तगत ग्रामीण आवास मिशन मे मकान बनाने हेतु तथा ग्राम मे भूमि व प्लाट देने के सम्बंध मे अपने-अपने आवेदन पत्र माह जनवरी 2014 मे पंचायत के माध्यम से कार्यालय तहसीलदार राजपुर को एक साथ प्रस्तुत किये थे । सभी के आवेदन पत्रों की जाॅच राजस्व निरीक्षक द्वारा पटवारी से करवानें के पश्चात् सभी आवेदन पत्र जाॅच उपरांत नायब तहसीलदार कार्यालय राजपुर में पहुच गए थे। आवेदक व इसके परिवारजन न्यायालय नायब तहसीलदार राजपुर के बाबू अनिल सोहनी से इस संबंध में मिले तो बाबू अनिल सोहनी ने सभी आवेदन पत्रों को जनपद कार्यालय राजपुर अग्रेषित करवाने के एवज में प्रत्येक आवेदन पत्र के हिसाब से 1200 रूपये रिश्वत मांगी। आवेदक व उसके परिवारजन द्वारा निवेदन करने पर रिश्वत राशि कम करने पर सहमत होते हुए अनिल सोहनी द्वारा प्रत्येक आवेदन के 800 रूपये के हिसाब से कुल 8000 रूपये रिश्वत की मांग की गई। सभी हितग्राहीगण बाबु अनिल सोहनी को रिश्वत नही देना चाहते थे बल्कि उसे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाना चाहते थे। अनावेदक अनिल सोहनी ने आवेदक के द्वारा पुनः निवेदन करने पर 6000/- रूपये रिश्वत लेना तय किया एवं 04 मार्च 2014 को 03ः00 बजे के बाद न्यायलाय नायब तहसीलदार राजपुर में बुलाया था। आवेदन पत्रों व तस्दीक से अनावेदक अनिल सोहनी बाबू न्यायालय नायब तहसीलदार राजपुर के विरूद्ध धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का अपराध घटित होना पाया जाने से अपराध विवेचना में लिया गया। आरोपी अनिल सोहनी सहायक ग्रेड-3 रीडर टू नायब तहसीलदार राजपुर द्वारा लोक सेवक होते हुए अपने पद का दुरूपयोग करते हुए 6000 रू. राशि की मांग कर ट्रेप दिनांक को आवेदक से 6000 रू. रिश्वत अवैध पारितोषण के रूप में प्राप्त की गई। 04 मार्च 2014 को तहसील कार्यालय राजपुर में आरोपी को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। आरोपी का उपरोक्त कृत्य धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध पाया गया। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।

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