प्रशासकीय अधिकारी पर लगाया पार्टी विशेष समर्थित होने का आरोप, मामला चुनाव आयोग में पहुंचा

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पूर्व में भी अधिकारी पर लगे है यौनशोषण, घरेलु हिंसा और गर्भपात जैसे गंभीर आरोप 

प्रशासकीय अधिकारी पर लगाया पार्टी विशेष समर्थित होने का आरोप, मामला चुनाव आयोग में पहुंचा

(डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’)

इंदौर।  किसी भी लोक सेवक का किसी विशेष राजनैतिक दल से प्रभावित और समर्थित होना शासकीय लोक सेवक आचरण अधिनियम के अंतर्गत स्वीकार्य नहीं है, इसी के चलते इंदौर की एक महिला ने लोकसेवक की फेसबुक प्रोफ़ाइल पर मोदी व शिवराज के साथ लगे चित्रों का हवाला देते हुए भोपाल के अतिरिक्त जिलाधीश संतोष वर्मा पर आरोप लगाया है कि वर्मा पार्टी विशेष से समर्थित है और इन पर इसी महिला द्वारा पूर्व में यौन शोषण, पहली पत्नी की जानकारी छुपा कर इस महिला से विवाह करने जैसे आरोप लगाए है और इन आरोपों में जाँच चल रही है।  जिसकों लेकर महिला ने चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज करवाई है।

पीड़िता ने चुनाव आयोग में ईमेल के माध्यम से भेजी शिकायत में स्पष्टतया लिखा है कि वर्तमान में भोपाल में बतौर एडिशनल कलेक्टर पदस्थ संतोष वर्मा जो सांवेर जिला इंदौर के निवासी है और वो थाना लसूड़िया में दर्ज एफ आई आर ८१५/२०१६ के अभियुक्त है, संतोष वर्मा पर थाना लसूड़िया द्वारा तैयार चार्ट शीट में भादवी की धारा ४९३, ४९४, ४९५, ३२३, २९४, ५०६, व ३१५ में अपराध पंजीबद्ध किया है।यहाँ तक की पीड़िता ने अपनी शिकायत में यह भी लिखा है कि आरोपी संतोष वर्मा एक राजनैतिक दल भाजपा की विचारधारा का समर्थक है। आचार संहिता लगने के पूर्व संतोष वर्मा होशंगाबाद में पदस्थ थे। इसके अतिरिक्त पीड़िता ने संतोष वर्मा के प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज के साथ फेसबुक पर लगाए चित्रों को भी संलग्न किया है। उक्त शिकायत पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मामले की जाँच प्रारंभ कर दी है और जाँच अधिकारी भी नियुक्त किया है।

शिकायतकर्ता पीड़िता स्वयं को अतिरिक्त जिलाधीश संतोष वर्मा की दूसरी पत्नी बताती है और उसने ही शिकायत में पार्टी विशेष की विचारधारा रखने वाले और पुलिस जांच में महिला यौन शोषण,गर्भपात के दागी आरोपी द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ कि फ़ोटो फेसबुक पर लगाने वाले,प्रधानमंत्री के प्रदेश आगमन पर उक्त दागी अधिकारी की ड्यूटी हैली पैड पर लगाने और यौन शोषण,गर्भपात की जानकारी मुख्य चनाव आयोग से छुपाते हुए, राजधानी भोपाल में चुनाव की ड्यूटी लेने वाले दागी अधिकारी जैसे गंभीर आरोप लगाए है। और यहाँ तक कि पीड़िता ने जांच की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाये है और कहा कि विषय अधिकारी के विरुद्ध जारी जांच आदेश से स्वयं संतोष वर्मा ने ही पीड़िता को वाट्सअप के माध्यम से बताया की कौन सी शिकायत उसने की है और क्या कागज आया है।

क्या है यह पूरा मामला, कौन है यह महिला?

शिकायतकर्ता महिला ने स्वयं को संतोष वर्मा की दूसरी पत्नी बताया है वर्ष २०१६ में न्यायलय में न्याय की गुहार भी लगाई थी उसी प्रकरण में लसूडिया पुलिस ने न्यायालय में माना है कि भोपाल के अपर कलेक्टर संतोष वर्मा पर लगे यौन शोषण के आरोप सही है। दरअसल, आरोपित अधिकारी संतोष वर्मा पर यौन शोषण के एक मामले में पुलिस ने डेढ़ वर्ष पहले एफआईआर दर्ज की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की थी। पुलिस की धीमी जांच से आहत पीड़िता ने कोर्ट को अर्जी देते हुए न्याय की मांग की थी जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को फटकारा और पुलिस ने जांच तेज की। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपी अधिकारी पहले से शादीशुदा है और पीड़िता के साथ मंदिर में झूटमूठ शादी का नाटककर कई सालों तक उसका यौन शौषण किया है।

दरअसल, पीड़िता की संतोष वर्मा से मुलाकात 2010 में हरदा में हुई थी, जहां वर्मा ने पीड़िता से मंदिर में शादी कर ली और कई सालों तक उसका यौन शोषण करता रहा। जबकि संतोष वर्मा पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी है। 2016 में पीड़िता ने इस मसले पर इंदौर पुलिस से शिकायत की लेकिन हाई प्रोफाइल आरोपी पर हाथ डालने की हिम्मत पुलिस नहीं जुटा पाई और मामले को टरकाती रही। जिसके बाद पीड़िता ने कोर्ट से शिकायत की और जिला कोर्ट में जज साक्षी कपूर ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस को फटकार लगाई जिसके बाद पुलिस ने कोर्ट में माना कि आरोपी पर लगाए गए सभी आरोप सही है और पुलिस जल्द ही इस मामले में चार्जशीट पेश करेगी। पीड़िता की तरफ से इस मामले की पैरवी दोनों वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे एवं काशु महंत कर रहे है।

जिम्मेदारों की भी सुने:

भोपाल में पदस्थ अपर कलेक्टर संतोष वर्मा मेरे पति है, वो पार्टीवादी और दागी व्यक्ति है जिन पर यौनशोषण का इल्जाम है जिनकी शिकायत मेने चुनाव आयोग में की है जिन्होंने पूर्व में उनपर दर्ज प्रकरण के बारे में जानकारी आयोग से छुपाई है, उनकी फेसबुक पर नरेंद्र मोदी, शिवराज के साथ फोटो भी डाले हुए है। जब इनके चालान कोर्ट में पेश होने वाला है अपराधी मानसिकता के व्यक्ति को निर्वाचन सम्बंधित कार्य कैसे सौंपा जा सकता है। इसी लिए मैंने चुनाव आयोग में ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत के बाद मेरे पति ने ही मुझे व्हाट्सअप पर मेसेज भी किया कि ‘तूने मेरे खिलाफ शिकायत की है और शिकायत की प्रति भी भेजी’ तो शिकायत के बाद जाँच अधिकारी की नियुक्ति वाले पत्र जिसके खिलाफ शिकायत की है उसके पास कैसे हो सकते है, स्पष्ट रूप से जाँच प्रभावित हो रही है। —– पीड़िता (जिसने आयोग में शिकायत दर्ज करवाई है)

पीड़िता ने शिकायत की थी, चूँकि पीड़िता संतोष वर्मा की दूसरी पत्नी है, जिससे  वर्मा ने पहली पत्नी की जानकारी छुपा कर शादी की थी। वर्तमान में संतोष वर्मा के खिलाफ इंदौर न्यायालय यौनशोषण और गर्भपात जैसे आरोप लगे है साथ में संतोष वर्मा और उसकी माँ पर घरेलु हिंसा का प्रकरण भी पंजीबद्ध है। 

 

— कृष्ण कुमार कुन्हारे (पीड़िता के अधिवक्ता) 

 

वो ब्लेकमेलर महिला है, ये एक पूरा गिरोह है जो अधिकारीयों को बदनाम करने की साजिश रचते है। दो साल पहले एफ आई आर हुई थी जिसका आचार संहिता से कोई लेना-देना नहीं है। और जो शिकायत सोशल मीडिया पर चल रही है तो मुझे तो पता तो चल ही जाएगी। इसके अतिरिक्त शिवराज जी ने २०१६  सिंहस्थ में मुझे सम्मानित किया वह चित्र फेसबुक पर लगाए है, उसका आज की आचार संहिता से कोई लेना देना नहीं है। जिस तरह से इस महिला ने अवैध रूप से पासपोर्ट बनवाया है, वोटर आई डी में नाम जुड़वाया है वो सभी साक्ष्य कोर्ट में रखूँगा और ये महिला बहुत जल्दी जेल जाने वाली है।

 —संतोष वर्मा – अतिरिक्त जिलाधीश, भोपाल ( जिन पर महिला ने आरोप लगाए )

 

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