अच्छा होता कि यह सूची नहीं आती…

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अच्छा होता कि यह सूची नहीं आती…
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*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*

राजनीति का ऊँट कब किस करवट बैठ जाए सच पूछो तो कह पाना असंभव ही है । कल जैसे ही भाजपा के संभावित प्रत्याशियों की सूची आई, सबको इंतजार होने लगा कि कांग्रेस के पुश्तैनी चाणक्य अब नहले पर दहला रखेंगे और इनके सामने जीतने वाले चेहरे बतौर उम्मीदवार पेश करेंगे । पर यह क्या… खोदा पहाड़ और निकली चुहिया…
बड़े-बड़े सर्वे, सर्वे के नाम पर कई महीनों की कवायद, कई प्रभारियों की रपट, सैकड़ों कद्दावरों की सिफारिशें, हजारों कार्यकर्ताओं का शक्ति प्रदर्शन और अंतत: नतीजा लगभग सिफर ।
उम्मीद तो बेहतरीन के चयन की दिख रही थी, पर यहाँ तो परंपरागत कांग्रेसियों से ही किनारा करके कई सीटों पर पैराशूट से उम्मीदवार भेज दिए ।
वो उम्मीदवार भी ऐसे जो दावे के साथ कह सकता हूँ कि 500 मूल कांग्रेसियों से भी परिचय करवा दे तो जीत मान ली जाए ।
गजब की रणनीति बनाई है इस बार तो…15 साल से सत्ता के बाहर रहने के बाद भी राजनैतिक पण्डित इतने कमजोर हो गए कि अपने ही लोगों को पहचान नहीं पाए और खुशी उस मोहरे को साथ में रखने की मना रहे हैं जो खुद ही खेलने आया है, अरे जिस पर आरोप लगा कर ही बड़ा खेल खेलते, उसे गोद में बैठा कर खुद की फजीहत करवा बैठे हो और यह भी तय है कि चुनाव बाद उसी मोहरे की घर वापसी भी हो जाएगी ।
खैर, आप तो सत्ता के राजा-महाराजा हो, पर पार्टी की इतनी बुरी गत करने का आप चाणक्यों को कोई अधिकार नहीं था ।
बहरहाल हम तो उस जारी सूची पर भी नज़र घुमाएं तो ये साफ तौर पर जाहिर हो जाता है कि कुछ उम्मीदवार तो कांग्रेस की स्थिति खराब करने के लिए उतारे गए है, और कुछ खुद ही कांग्रेस को उखाड़ने का काम करेंगे, क्योंकि उनका उद्देश्य पैसा कमाना है ताकि भविष्य में वो खुद को तैयार कर सकें न कि कांग्रेस को मजबूत करना ।
संगठन के सलाहकार मण्डल को बदलना कांग्रेस को शायद विधानसभा चुनाव के परिणाम देखने के बाद समझ आएगा क्योंकि इस टिकट वितरण से तो स्पष्ट है कि बिना किसी सर्वे के केवल अपने मोहरों को फिट करने के उद्देश्य से बैठा दिया है।
वंशवाद के नायक को वाकई लोकसभा तक फजीहत तो दिख जाएगी, पर तब तक पैबंद लगाने के लिए कोई मिलेगा नहीं, समय निरंतर चलता ही रहता है।
जिस तरह से कांग्रेस की इस सूची की प्रतीक्षा कांग्रेसीयों के अलावा जनता और पत्रकार भी कर रहे थे, उन्हें तो साफ तौर पर कांग्रेस के भविष्य के साथ किए छल का असर दिख ही रहा है । मूल कांग्रेसियों की उपेक्षा से फूट तो पैदा होगी, जो इस समय कांग्रेस के लिए घातक है । टिकट वितरण से असंतोष पैदा होगा, असंतोष से ध्रुवीकरण का काम होगा । ध्रुवीकरण से सीट का नुकसान होगा और मलाई तो भाजपा खा ही जाएगी ।
संभवत: कांग्रेस घर बचाने में व्यस्त होगी और भाजपा मौके का फायदा उठाते हुए कर देगी सामने वाले के घर को साफ।
गौर करने लायक तो यह भी है कि कांग्रेस के ताबूत में आखरी कील भी यही कांग्रेस के लोग ही ठोकेंगे !!!
समय का इंतजार है….

*डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’*
खबर हलचल न्यूज, इंदौर

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