प्रिन्स बैरागी
देवास-स्थानीय महात्मा गांधी बस स्टेंड पर आए दिन गुंडागर्दी होना आम बात हो गई है। फिर वो चाहे बस एजेंटो की हो दुकानदारों की या फिर ठेले वालो की ओर इन सब का खामियाजा भुगतना पड़ता है बेकसूर यात्रियों को।
गत दिवस यात्री बस में पथराव कर गाड़ी में तोड़ फोड़ की गई गनीमत रही कि किसी यात्री को चोट नही आई। कभी दुकानदार बस स्टैंड पर दुकान के सामने बैठने नही देते बेइज्जत कर के भगा देते है तो कभी ठेले वाले बत्तमीजी से व्यवहार करते रहते है कुल मिलाकर सवाल ये है कि ट्रैफिक थाना ओर बस स्टैंड लगभग एक ही है बावजूद इसके इतनी घटनाएं हो कैसे जाती है।क्या खाकी का असर फीका पड़ गया है जो इस तरह खुलेआम गुंडागर्दी हो रही है।और क्यो नही होगी कई बार स्टैंड पर जिम्मेदार पुलिस वालो को उन एजेंटो के गले मे हाथ डालकर ओर घूमते ओर चाय पीते ओर मजाक मस्ती करते देखा गया है। तो फिर उनमें खोफ किस बात का।ये तो वही बात हो गई कि “सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का…”
आखिर क्या हो गया वर्दी वालो की कार्यशैली को।बेचारे गांव से आने वाले भोले भाले नागरिको को चोराहे पर चेकिंग का खोफ दिखाकर वसूली करने से वर्दी की साख में बढ़ोतरी नही होगी। पुलिस कट्रोल रुम से चंद कदमो की दूरी पर इस तरह की घटना घटित होना कही न कही पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। दिनभर गाड़िया दौड़ाने से ओर केवल माइक पर चिल्लाने से व्यवस्थाएं दुरुस्त नही होगी।बल्कि कोई ऐसा ठोस कदम उठाना पड़ेगा जिससे कि आम जनता को खाकी पर विश्वास हो और गुंडों ओर असामाजिक तत्वों में खाकी का खोफ हो तब कही जाकर देशभक्ति जनसेवा का जुमला सार्थक होगा। नही तो ये गुंडागर्दी के दृश्य आये दिन एक आम बात हो जाएगी।