मन मेला हो जाए तो तो आत्मा को परमात्मा का दर्शन करना भी मुश्किल हो जाता है पंडित मनोज महाराज

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टिमरनी / यदि मन मेला हो जाए तो तो आत्मा को परमात्मा का दर्शन करना भी मुश्किल हो जाता है परमात्मा सरल और निर्मल वालों के मन में वास करते हैं यह बातें-नगर के कृषि उपज मंडी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन की कथा वाचक पंडित मनोज महाराज ने व्यासपीठ शुक्रवार को कही है कृष्णानंद खंडवा वालो ने बताया कि मनुष्य को कलयुग मे परमात्मा की भक्ति इस प्रकार करना चाहिये की आपको मरने के बाद कोई गंगा, नर्मदा या अनेक पवित्र नदियों , या तीर्थ मे आपका श्राद्ध करे या ना करे लेकिन भक्ति ऐसी करे की स्वयं परमात्मा को आपकों लेने के लिये आना पड़े, भक्ति के माध्यम से जीते जी अपना पिंडदान परमात्मा के चरणों मे कर दे किसी ने कहा हे कि, एक मोहल्ले के एक गली मे रहते हे हम दो यार, फिर मिलने को तरसते हे यार, हमारा शरीर एक मोहल्ला हे, उसमे सांस की नली गली हे, उसी गली मे ऊपर आत्मा हे और निचे परमात्मा हे पर बीच मे मन हे, मन यदि निर्मल और सरल नही हे तो उपर वाली आत्मा को नीचे वाले परमात्मा का दर्शन करना दुलर्भ है जिस प्रकार कांच के गिलास मे पानी भरकर देखों तो आरपार नजर आता हे पर थोड़ी मट्टी डालने से पानी मैला हो जाता हे और उसी कारण आरपार दिखना बंद हो जाता हे चौथे दिन की कथा मे परमात्मा के प्रमुख अवतारों की कथा श्रवण. कराई गई वराह अवतार, वामन अवतार, नसिह्न अवतार, मोहिनी अवतार, मत्सय अवतार, राम अवतार. अन्त मे कृष्ण अवतार बड़े धूमधाम से मनायाँ गया इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे

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