नहीं मिल रही गाय और कौवे…

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नहीं मिल रही गाय और कौवे…
आनंद जैन इंदौर।श्राद्ध पक्ष का हिन्दु संस्कृति में बहुत महत्व है।यह वह समय होता है जिसमें ज्ञात,अज्ञात,परिजन,मित्रगणों की आत्म शांति के लिए धूप, ध्यान के साथ भोजन और पूजन किया जाता है। आत्मा की शांति के लिए भोजन में से 4 भाग निकाले जाते है। 1.गाय
2.कुत्ता
3.कौवा
4.अतित
इसमें कुत्ते व अतित तो मिल जाते है । गाय भी ढुढने पर मिल जाती है लेकिन कौवे मिलना नामुमकिन हो गया है। शहर के विकास ने जिस बेदर्दी से पेडों को काटा है ।उसने आवो हवा के साथ पशू-पक्षियों को भी हमसे दूर कर दिया है। पेडो के कटने क ई पक्षियों ने शहर छोड़ कर गांव में वापसी कर ली है।जिसका नतीजा सामने है। लाखों की आबादी वाले हमारे शहर में कोई ऐसा स्थान नहीं बचा जहां ये पक्षी काग हमें मिल सके। ऐसे में काग भोजन कराना अंसभव हो गया है। उनके निमित का निकला भोजन गाय या कुत्ते को देना पड रहा है।
ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध में वे सभी आत्माऐं अपने से जुडे परिजनों से आस लगा के रखती है कि वे उन्हें इन 16 दिनों में याद करें। आत्मा की शांति के लिए जो हो सकता है व दान,धर्म करे। इसी के मददे नजर लोग श्राद्ध करते है।
*यहां मिले कौवे -शहर में ढूंढने पर भी कांग के न मिलने मन ने कहां क्यो न इन्हे गांव में ढुडा जाए।तो गाडी का मुह शहर से 15 किमी दूर नेमावर रोड स्थित देव गुराडिया मंदीर की हो गया ।यकिन मानिए मेहनत सफल हुई । हजारों की सख्या में लगे पेडों ने कागों के दर्शन करा दिए।हरे भरे पेडो में कांव कांव करते ये कांग नजर आए।गांव वालों का कहना है कि सैकडों साल पुराने इन वर्क्षो पर कांगों नेअपना बसेरा बना लिया है।

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