हर किसी को लुभा रही है “बालम ककड़ी”

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इंदौर। ककड़ी की जितनी भी प्रजाति है उनमें बालम ककड़ी की बात ही अलग है… ऊपर से हरी और अंदर से केसरिया कलर की निकलने वाली बालम ककड़ी इन दिनों इंदौर के मार्केट में भी उपलब्ध है। गणेश चतुर्थ और नवरात्रि के दिनों में अमूमन बालम ककड़ी की आमद होती है। अधिकाश आदिवासी क्षेत्रों से इसकी आवक होती है।बेचने वालों का कहना है कि इस बार यह 15 दिन लेट आई है। बालम ककड़ी अधिक समय तक मिलती भी नहीं है । लगभग महीने,20 दिनों तक ही इसकी उपलब्धता रहती है। कीमत के मामले में भी ये ककड़ी सब पर भारी है। इंदौर में अभी 40से 50रू में मिलती है। बालम ककड़ी रतलाम के सैलाना,थादला के साथ धार जिले से आती है। सबसे स्वादिष्ट बालम ककड़ी सैलाना की ही होती है। कुछ लोग इस बालम ककड़ी के जबरदस्त मुरीद हैं और शुरू होने से लेकर खत्म होने तक लगभग रोज ही इसका सेवन चलता है। बस स्टैंड व रेल्वे स्टेशन के पास रोड किनारे ये ककडी बैचने वाले मिल जाते है।सब्जी मंडी में भी नजर आ जाती है। इसके चाहने वाले कम नहीं हैं। सलाद के साथ कई गणेश पांडालों के प्रसाद में भी बाटी जाती है।हालाकि ककड़ी का नाम बालम पता नहीं किसने रखा, लेकिन बड़ा सोच-समझकर रखा है।मालवा के लोग इस बालम ककड़ी के दिवाने हैं बड़े चाव से चाट-मसाला डालकर इसको खाते हैं। कुछ लोग इसकी सब्जी भी बनाते हैं।

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