शहर को संग्रहालय के साथ चाहिए एक और सभागार

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शहर को संग्रहालय के साथ चाहिए एक और सभागार

 

देवास-देश के अन्य शहरों की तरह देवास में भी विकास की भेंट चढ़ रहे पुरातत्व और ऐतिहासिक महत्त्व की धरोहरों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है.पुरातत्व विभाग द्वारा अपने आला अफसरों के माध्यम से जिलाधीश को पत्र लिखकर शहर के एकमात्र सभागार मल्हार स्मृति मंदिर को सिटी म्यूजियम के लिए सुरक्षित रखने की बात उठाई है.गौरतलब है कि इन दिनों मल्हार स्मृति मंदिर के पुनरोद्धार का काम जारी है और उसे लेकर शहर के कुछ लोग भी वहाँ स्थित धरोहरों तथा शहर के ऐतिहासिक रियासतकालीन भवनों को यथावत और सुरक्षित रखने की मांग कर रहे है.इधर इस मामले में महापौर ने भी बयान जारी कर इस सबको राजनीति से प्रेरित बताया है.
दरअसल देखा जाये तो देवास में पुरातत्व और ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की कोई इमानदार कोशिश बीते वर्षों से नजर नही आ रही.मल्हार स्मृति मंदिर में रखे बहुमूल्य पुरावशेष रखरखाव के आभाव में जीर्ण शीर्ण होते जा रहे है. शहर की ऐतिहासिक इमारतों रियासतकालीन द्वारों और भवनों को भी समुचित रखरखाव की दरकार है.
मल्हार स्मृति मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ वहाँ का मूल स्वरूप समाप्त होने की पूरी आशंका है साथ ही वहाँ जीम, फ़ूड कोर्ट बनाने की योजना से सभागार परिसर के व्यवसायिक होने की भी पूरी आशंका है.
शहर को एक सुविधा सम्पन्न सभागार जरूरी है मगर साथ ही आये दिन होने वाली एमआईसी, जनसुनवाई और दीगर सरकारी आयोजनों के अलावा शहर के छोटे मोटे और मुफ्त के कार्यक्रमों के चलते सभागार का मूल स्वरूप बच रहेगा इसकी उम्मीद कम है.ऐसे में मल्हार स्मृति मंदिर को पुरातत्व संग्रहालय बनाया जाना चाहिए,जिससे कि शहर के ऐतिहासिक और पुरातत्व धरोहरों को सहेजा जा सके ( वैसे भी सभागार के उपर शासकीय पुरातत्व संग्रहालय अंकित है ) साथ ही शहर के गणमान्य नागरिको, कलाकारों और इतिहासविदों को साथ में लेकर एक और नए सभागार के निर्माण की योजना बनानी चाहिए जो कि शहर के बीच में होकर शहर की सांस्कृतिक और कला प्रस्तितियों के लिए सुलभ हो. इसके लिए सिविल लाईन चौराहे स्थित शिक्षा विभाग या नगर निगम के वर्तमान
भवन के प्रस्तावित निर्माण के साथ इस सभागार का निर्माण किया जा सकता है जो शहर के बीच स्थित होकर पार्किंग के लिए भी सुलभ है .
इसके साथ ही एरिना, विक्रम सभा भवन, शीलनाथ धुनी और अन्य धरोहरों को सहेजना आने वाली पीढी को देवास के इतिहास से जुड़ने का और उसकी पहचान बनाये रखने में मददगार साबित होगा

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