जनसमस्या को कैसे सुलझाए प्रशासन?

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*मन की बात* (जन समस्या पर)

 

जनसमस्या को कैसे सुलझाए प्रशासन?

*नगरीय क्षेत्र बढ़ती अतिक्रमण समस्या पर जनसहयोग ही सार्थक पहल*

✍ *देवेंद्र जैन द्वारा*✍

कुक्षी | नगर की गंभीर समस्या अतिक्रमण जो नगर के विकास की गति को अवरुद्ध कर रही है जो नगर के सभ्रांत समाज की चकोर नजर से नजरअंदाज है। नगर की प्रमुख सड़को पर अतिक्रमण की घेराबंदी से प्रभावित होता व्यापार स्वयं अतिक्रमणकारी को अभी बोध नही करा रहा पर भविष्य की कल्पना ये है कि इस अतिक्रमण से प्रभावित नागरिक इस ओर व्यवसाय या खरीददारी करने से बचने लगेगा।
‌अतिक्रमण के कारण संकीर्ण हुए मार्गो पर वाहन पार्किंग की समस्या,ओर अव्यवस्थित फुटकर व्यवसाय की दुकानों के कारण विवादों की स्थिति के लिए बार बार पुलिस प्रशासन और नगरीय प्रशासन को दोषी ठहराना कहा तक उचित है जो समस्या स्वयं हमने उत्पन्न की है। नगर में सौहार्द ओर शांति स्थापित करने में बनी शांती समिति की बैठक जो विभिन्न त्योहार के पूर्व प्रशासन द्वारा आयोजित होती है उसमें सदैव मूल विषयो से हटकर मात्र नगर के अतिक्रमण ओर यातायात समस्या पर ही केंद्रित होकर समाप्त हो जाती है बार बार चर्चा के बाद भी समस्या ज्यो की त्यों बनी हुई है।नगर के हृदय स्थल जवाहर चोक से लगाकर सुतार मोहल्ला,एवम जवाहर चौक से सिनेमा चौराहा जो कपड़ा व्यवसाय, सराफा व्यवसाय,के लिए सम्पूर्ण जिले में प्रख्यात है इस क्षेत्र में हुए अतिक्रमण के कारण जो स्वयं क्षेत्रीय व्यवसायियों का ही है आवागमन को प्रभावित करता है दुकानों का सामान सड़क के मध्य तक फैलाना , बोर्ड और होर्डिंग सड़क के मध्य तक रखना, वाहनों को सडक पर पार्किंग करना समस्या का मूल कारण है वही अपनी ही दुकानों के सम्मुख फुटकर व्यापारियों के ठेलो, एवम दुकानों की गैरकानूनी किराया वसूली इस गंभीर समस्या का दूसरा प्रमुख कारण है। सभी कथनों का सार यह है समस्या जो हमने पैदा की है उसका उपचार पुलिस प्रशासन और नगरीय प्रशासन से करवाये कहा तक उचित है।
‌समस्या के उचित समाधान में नगर के सभ्रांत समाज की ही भूमिका सार्थक होगी समाज का वह वर्ग जो समाज मे अपनी बात मनवाने की शक्ति, सामर्थ, रखता है ऐसे व्यक्तियों के नेतृत्व में पुलिस एवम नगरीय प्रशासन का सांझा एक दल नगर की इस गंभीर समस्या को अंकित कर अतिक्रमणकारी से बात कर नगर के विकास में बाधित अतिक्रमण समस्या का समाधान कराए। ऐसा नही होने की दशा में भविष्य के क़ुक्षी की परिकल्पना भी ये होगी कि व्यापार व्यवसाय के बगैर सुनसान सड़क,ओर वीरान बाजार।

✍ *‌देवेंद्र जैन*
*‌सहसंपादक खबर हलचल न्यूज़*

 

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