जीवन शाला में सूफ़ी रंग में डूबे लोग, कबीर जन विकास समूह का आयोजन

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इन्दौर। रविवार को शहर में ढाई आखर का सातवां आयोजन जीवन शाला, विसर्जन आश्रम इंदौर में सम्पन्न हुआ, जिसमें सत्संग के तहत प्रेम से पगे गीत, ग़ज़ल, लोकगीतों की प्रस्तुतियाँ हुईं।
दिव्या ने अपनी सुमधुर आवाज़ में “इक प्यार का नगमा है, मौजों की रुबानी है…. !” “होश वालों को ख़बर कहाँ बेखुदी क्या चीज़ है…..!” गाया। “माय हार्ट इज़ ब्रेथिंग..!” में श्रोता नाच उठे। पूजा उइके ने “एक कजरी सखी छाई घटा घनघोर है जंगल में नाच रहे मोर…”, प्रस्तुत की। सुब्रतो बोस ने एक वियोग की ग़ज़ल प्रस्तुत की “इश्क़ बस नाम है ज़माने में….।”
कार्यक्रम का प्रारंभ विक्रम बोरदिया एवं टीम के द्वारा कबीर भजन से हुआ।
ब्रजेश ने ढाई आखर की अवधारणा प्रस्तुत की, उसके पश्चात् तत्संवाद में प्रेम पर संवाद हुआ। नेहा पटेल ने विषय को खोलते हुए कहा कि ‘प्रेम की अनेक धारणाएँ हैं और प्रेम अनेक तरह से हो सकता है, जिसे समाज में अच्छा भी कहा जाता है और बुरा भी।’ इसके पश्चात् स्वामी उज्ज्वल, विकास छाजेड़, मुक्ता पटेल, अखिलेश जैन ने अपने-अपने अनुभवों से प्यार के मायने सुनाए। पश्चात् आर्यन सोलंकी ने नृत्य योग कराया। आयोजन की सरलता, सहजता, और उसकी बुनावट बहुत आत्मीय होने से सभी के भीतर प्रेम का गहन अहसास हुआ। सभी ने नफ़रत की ओर बढ़ती जा रही दुनिया को बचाने का एक ही रास्ता प्रेम का बताया। संविधान की उद्देशिका के वाचन के पश्चात् कार्यक्रम समाप्त हुआ।
संचालन पूजा एवं छोटेलाल भारती ने किया। आभार डॉ. चारुशीला मौर्य ने माना।

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