अभिनेता अर्पित नागर की माँ के साथ तहसीलदार ने की बदसलूकी

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नामान्तरण के मामले में एक साल से कर रहे थे परेशान, जनसुनवाई में पहुँचा परिवार

इंदौर। शहर की बिचौली हप्सी में ज़मीन के नामांतरण के लिए तहसीलदार से मिले फ़िल्म अभिनेता अर्पित नागर ने मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर आशीष सिंह के सामने आवेदन देकर आरोप लगाया कि तहसीलदार धर्मेन्द्र चौहान और बाबू तरुण ने ज़मीन के नामान्तरण आसानी से करवाने के लिए मिलकर बात करने का कहा जिसमें पैसों की माँग की गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ मामला 2 दिन पहले इस हद तक पहुँच गया था कि तहसीलदार कार्यालय में होमगार्ड के जवान तक बुलाने पड़े थे। और तहसीलदार के कार्यालय में फ़िल्म अभिनेता अर्पित नागर का मोबाइल भी छीना गया जिससे उन्हें चोट आई है।

अर्पित ने यह भी आरोप लगाया कि तहसीलदार ने उनकी माँ मंजुला नागर के साथ भी अभद्र तरीके से धमकी भरे लहज़े में बात की है। जनसुनवाई में कलेक्टर से मिलने अर्पित और उनकी माँ मंजुला नागर पहुँचे, जहाँ कलेक्टर ने तुरंत जॉइंट कलेक्टर व बिचौली हप्सी की अनुविभागीय अधिकारी रोशनी वर्धमान को जाँच करने के निर्देश दिए।
फ़िल्म अभिनेता अर्पित नागर ने कलेक्टर कार्यालय में पद के दुरुपयोग का भी खुलासा किया है। ‘धड़के दिल बार-बार’ में मुख्य कलाकार और ‘दम लगा के हईशा’ जैसी फ़िल्मों में सह निर्देशक रहकर अर्पित नागर काम कर चुके है।

क्या है पूरा मामला

अर्पित नागर ने बताया कि लगभग पिछले एक साल से ज़मीन का नामान्तरण नहीं हो रहा था, इस सन्दर्भ में तहसीलदार ने 2 जनवरी को मिलने बुलाया और कहा कि ‘उनके बाबू तरुण से मिल लें, काम हो जाएगा।’
इस दौरान अर्पित के हाथ में से बाबू तरुण ने उनका फ़ोन छीन लिया, और छीना-झपटी के दौरान अर्पित को चोट भी आई। तहसीलदार का आरोप था कि अर्पित रिकॉर्डिंग कर रहे थे किंतु फ़ोन में इस तरह का कुछ नहीं था।
इस दौरान अर्पित की माँ मंजुला नागर भी वहीं मौजूद थीं जिनसे तहसीलदार धर्मेन्द्र चौहान ने बदतमीज़ी करते हुए अभद्र व्यवहार किया। अर्पित के आवाज़ उठाने पर धर्मेन्द्र चौहान उनका भविष्य ख़राब करने की धमकी देने लगे। और फिर बिना अनुमति के मंजुला नागर का वीडियो बनाया। फ़ोन में कुछ न मिलने पर भी ज़बरदस्ती जुर्माना लगाया।

कौन है अर्पित नागर
अर्पित नागर उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं जो इंदौर से मुंबई चले गए हैं और एक आगामी बॉलीवुड फिल्म में मुख्य भूमिका हासिल कर ली है। उनकी यात्रा भारत के हलचल भरे फिल्म उद्योग में अपना करियर बनाने का लक्ष्य रखने वाले छोटे शहरों के कई महत्वाकांक्षी अभिनेताओं के सपनों का प्रतीक है। हालाँकि, उनका हालिया अनुभव सरकारी सेवाओं के भीतर कुछ तत्वों से निपटने के दौरान आम आदमी द्वारा सामना की जाने वाली कठोर वास्तविकताओं को रेखांकित करता है।

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