धन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कमाना चाहिए इच्छाओं की पूर्ति के लिए नहीं : कथाचार्य राजेंद्र द्विवेदी

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कुक्षी।आज के समय में कई जगह भक्ति के नाम पर आबंडर और सेवा के नाम पर समाज को लुटा जा रहा है बड़े महात्मा प्लेन से आ रहे त्यागी बैरागी विलासिता के आदी दिखाई पड़ रहे हैं भागवत कथा ज्ञान भक्ति और वैराग्य को जाग्रत करती है जिन्हे आचरण में उतारने की आवश्यकता है।यह विचार दाताहरी वाटिका में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन
कानपुर के प्रख्यात कथा वाचक पंडित राजेंद्र द्विवेदी ने कही।
उन्होंने धन की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धन कमाना गलत नही है धन कमाना चाहिए किंतु धन वह कमाना चाहिए जो घर में सुमुति दे, शिष्टाचार दे बड़ो को सम्मान दे जिससे मानवता का कल्याण हो, धन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होना चाहिए इच्छाओं की पूर्ति के लिए नहीं. पहले के जमाने में लोग झूठ बोलने से डरते थेऔर आज सच बोलने से डरने लगे है यह असाध्य बीमारी फैलती जा रही है ज्ञान से हमें सही और गलत की पहचान करने की क्षमता मिलती है सत्संग के महत्व को समझते हुये भक्ति से हमें अपने भगवान के साथ जुड़ने का मौका मिलता है और वैराग्य से हमें दुनिया की मोह माया से मुक्ति मिलती है।सेवा ज्ञान भक्ति और वैराग्य के बातों को सही अर्थो में समझ कर आचरण में उतारने की आवश्यकता है जिससे परमात्मा की प्राप्ति हो। कथा में नगर के साथ आसपास के क्षेत्र के लोग भी कथा रसपान करने यहां आ रहे है।कथा के समापन पर दाताहरी वाटिका समिति द्वारा प्रतिदिन अल्पाहार की व्यवस्था प्रदाय की जा रही।

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