नारद वृत्ति की लोककल्याणकारी पत्रकारिता ही सच्ची पत्रकारिता है – पंडित विजयशंकर मेहता ने कहा

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देवर्षि नारद जयंती कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकारों का किया गया सम्मान

इन्दौर। विश्व संवाद केंद्र मालवा, प्रेस क्लब इन्दौर तथा पत्रकारिता विभाग देवी अहिल्या विवि द्वारा देवर्षि नारद जी के कालजयी कृतित्व को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने हेतु प्रतिवर्ष सृष्टि के प्रथम संवाददाता देवर्षि नारद जयंती कार्यक्रम ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया पर आयोजित किया जाता है।

इसी क्रम में इस वर्ष यह कार्यक्रम शनिवार को एसजीएसआयटीएस के गोल्डन जुबली सभागार में आयोजित हुआ ।

माँ सरस्वती व देवर्षि नारद जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, प.माधव शर्मा जी ने स्वरबद्ध श्रीनारद स्त्रोत का पाठन किया।
वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश रेखे, श्री अविनाश दीक्षित एवं श्री रवीन्द्र शुक्ला को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु सम्मानित किया गया। इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री अरविंद तिवारी ने उनका परिचय देते हुए उनसे जुड़े विशिष्ट संस्मरणों को उदधृत किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डिजियाना न्यूज के एडिटर इन चीफ श्री प्रतीक श्रीवास्तव जी ने नारद जी की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डाला। नारद जी को ब्रह्मांड का प्रथम पत्रकार बताते हुए उन्होने कहा कि लोक कल्याण के लिए अज्ञान का नाश कर, ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले हैं नारद जी । उनका पाथेय प्राप्त कर वर्तमान पत्रकार भी सूचना, सत्य और तथ्य के द्वारा समाज को जागरूक करने का प्रयास करे। जिस प्रकार नारद जी नीर-क्षीर-विवेक के द्वारा सूचनाओं का प्रसार लोककल्याण के लिए किया करते थे, उसी प्रकार एक पत्रकार को भी समाज में सूचनाओं का प्रसार उत्तरदायित्व के साथ ऐसे करना चाहिए जिसमे सदैव समाज का हित निहित हो।
डॉ प्रतीक श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तव में नारदजी एक धीर गंभीर व्यक्तित्व हैं, जो सदैव समाज के कल्याण के लिए ही प्रयत्नशील रहते थे। यह विडंबना ही है कि फिल्म जगत ने उन्हें उपहास का चरित्र बना कर प्रस्तुत किया, जो इस महान चरित्र के साथ बड़ा अन्याय है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रख्यात कथाकार एवं आध्यात्मिक गुरु पण्डित विजयशंकर मेहता ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि जिस प्रकार नदियाँ स्वयं अपना जल नहीं पी पाती हैं, ठीक उसी प्रकार सच्चा पत्रकार व्यक्तिगत प्राप्ति के इतर समाज के लिए पुरुषार्थ करता है। एक सच्चे पत्रकार के विचारों में ओज होता है, और कलम में तेजस्विता होती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मंथरा रामायण का ऐसा चरित्र है, जिसने राजमहल में रहते हुए, घर फोड़ने का कार्य किया- यह विध्वंसकारी पत्रकारिता का उदाहरण है। सत्ता के आसपास होने वाली पत्रकारिता को मंथरा वृत्ति से बचने का प्रयास करना चाहिए। अच्छी पत्रकारिता के लिए, जानकारी के साथ साथ ज्ञान और विवेक की भी
आवश्यकता होती है।
शूर्पनखा को रावण ने दंडकारण्य से सूचनाएँ देने के लिए भेजा था, किंतु शूर्पनखा ने स्वयं को भोग और विलास में डुबो लिया। उसने रावण को भी सत्य सूचना न देकर नकारात्मक सूचनाएँ दी ।
रावण ने भी मारीच के माध्यम से असत्य सूचना देने के लिए उसे बाध्य किया। इन दोनों ही वृत्तियों का परिणाम विनाश के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। पत्रकारिता में भी यदि इन वृत्तियों का अनुसरण होगा तो वह विनाश को ही निमंत्रण देगी। ऐसे में यदि नारदजी की बात करें तो वे सही समय पर, सही सूचनाएँ, सही स्वरूप में पहुँचा देते थे , जो प्रारंभ में भले ही कटु लगे, किन्तु उनका अंत परिणाम कल्याणकारी ही होता था। एक पत्रकार के लिए आवश्यक है कि वह सूचनाओं को सही समय पर, सही स्वरूप में, तुरंत पहुँचाने का कार्य करें। हनुमान जी का उदाहरण देते हुए श्री मेहता ने कहा कि जैसे रावण के समक्ष हनुमान जी ने निडर हो, आँख में आँख डाल कर बात की थी, ठीक इसी प्रकार पत्रकार को भी सत्य का आधार ले कर निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए।
इस प्रकार नारदजी एवं हनुमान जी की सात्विक वृत्ति का उदाहरण दे कर श्री मेहता ने पत्रकारों को सत्य के साथ अडिग खड़े रहने का संदेश दिया और कहा कि हम सभी के समस्त कार्यों का साक्षी ईश्वर हैं ।
विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्री दिनेश जी गुप्ता एवं श्रीमती सोनाली नरगुंदे ने सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन श्री मनीष काले ने किया।
कार्यक्रम मे इन्दौर के पत्रकार  , साहित्यकार , विद्यार्थी  तथा प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन सुश्री जाह्नवी द्वारा वंदे मातरम के साथ हुआ।

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