कुक्षी की शान है तीन रोटरी और विजय स्तम्भ

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गांधी जी, सरदार पटेल और अंबेडकर जी शहर की तीन अलग-अलग एंट्री संभाल रहे

(डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’)

कुक्षी। किसी भी शहर की पहचान में शामिल होते हैं चौराहे, रोटरी, विजय स्तंभ और मार्ग। उसी पहचान को बढ़ावा देने में विभिन्न स्थान पर लगीं प्रतिमाएँ कुक्षी की शान बढ़ा रही हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के पहले उपप्रधानमंत्री व पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल व संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमाएँ शहर कुक्षी में स्थापित हैं। इन प्रतिमाओं में से दो प्रतिमाएँ शासकीय स्थल व एक प्रतिमा निजी शिक्षण संस्थान में लगाई गई है। शासकीय प्रतिमाओं और विजय स्तंभ का रखरखाव नगर परिषद द्वारा किया जाता हैं।

बस स्टैण्ड पर बैठे हैं बापू
लगभग 50 वर्षों से कुक्षी के बस अड्डे पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी हुई है, पूर्व में यहाँ पर गांधी उद्यान हुआ करता था। विद्यालयों के बच्चे विभिन्न अवसरों पर प्रभातफेरी के साथ आकर गांधी जी का स्मरण करते थे, किन्तु अब नगर परिषद् द्वारा उद्यान हटाकर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना दिया गया है और उसी कॉम्प्लेक्स में गांधी जी की प्रतिमा लगाई गई है।

बाबा साहब के नाम से बन गया नया चौराहा
कुछ वर्षों पहले कुक्षी बायपास रोड बना जिसके एक तरफ़ निकलने वाले मार्ग से बाग रोड सीधे जुड़ाव मिल जाता है, एक ओर से सुसारी बायपास मिलता है। इस चौराहे से निकलने वाले चौथे मार्ग से सीधे नगर से जुड़ जाते हैं।
पहले इस चौराहे का नामकरण बाबा साहब अम्बेडकर के नाम पर हुआ, इसके बाद बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाई गई, जिसका रखरखाव नगर परिषद् के ज़िम्मे है।

निजी विद्यालय में सरदार पटेल
बाग रोड से कुक्षी के प्रवेश पर निजी विद्यालय में देश के पहले उप प्रधानमंत्री व देश के पहले गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा स्थानीय विद्यालय प्रबंधन ने पटेल क्लब कुक्षी के सौजन्य से विद्यालय परिसर में लगाई है।
समय-समय पर प्रतिमा का रखरखाव भी किया जाता है।

भारत की आज़ादी का प्रतीक है विजय स्तंभ
लाखों लोगों के संघर्ष के बाद सन 1947 में मिली भारत को आज़ादी के प्रतीक के रूप में कुक्षी में भी ‘विजय स्तम्भ’ बनाया गया, जो आज भी उन बलिदानियों का स्मरण करवाता है।
यह रोटरी, स्मारक और विजय स्तंभ कुक्षी की शान है।

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