आकाश छूने की बात कोई कवि ही कर सकता है – सत्यनारायण सत्तन

267 Views

सम्मान समारोह एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम संपन्न

इन्दौर। कवि ब्रह्मा हो जाता है जब वह नई ऋचाएं रचता है ।
सृष्टि सृजन से प्रलय तलक मानव उसको पढता है। “आकाश छूने की बात कोई कवि ही कर सकता है । साहित्य अथाह सागर है तो कवि करुणा का सागर होता है। “
मालवांचल के सुप्रसिद्ध कवि पंडित श्रीधर जोशी की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित सम्मान एवं वरिष्ठ कवि धीरेंद्र जोशी के काव्य संग्रह” छू लो तुम आकाश” के विमोचन समारोह में प्रसिद्ध राष्ट्रकवि कवि सत्यनारायण सत्तन जी ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उक्त विचार रखे।कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेंद्र मंडलोई जी ने की। उन्होंने कहा, श्रीधर जी जोशी मानवीय संवेदनाओं के कवि थे। और उनके सुपुत्र धीरेंद्र जोशी भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
विशेष अतिथि के रूप में में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवम् कला अकादमी म प्र के निदेशक जयंत भिसे जी ने कहा, पाश्चात्य की एकल व्यक्ति प्रणाली की तुलना में हमारी परिवार प्रणाली बहुत मजबूत है। परिवार से मिलने वाले संस्कार हमें जीवन में हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।

विशेष अतिथि के रूप में बैंक ऑफ बड़ौदा के से. नि. चीफ मैनेजर नरेंद्र उपाध्याय उपस्थित थे।
कार्यक्रम में शिक्षाविद एवम साहित्यकार डा .पद्मा सिंह को मालव मयूर सम्मान से सम्मानित किया गया। श्रीमती ललिता जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया
विमोचित पुस्तक की समीक्षा साहित्यकार डा दीपा व्यास द्वारा की गई।
अतिथि परिचय साहित्यकार मुकेश तिवारी ने दिया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि सुषमा दुबे ने किया। आभार प्रदर्शन शैलेंद्र जोशी ने किया।
कार्यक्रम में साहित्य जगत से आदरणीय हरेराम वाजपेई, प्रदीप नवीन, रामलाल प्रजापति ,देवेंद्र सिंह सिसोदिया ,अर्चना मंडलोई, माधुरी व्यास, वाणी जोशी, सपना साहू, डॉ अर्पण जैन, चकोर चतुर्वेदी,मुकेश इंदौरी, राधेश्याम गोयल, द्रोणाचार्य दुबे, कुमुम मंडलोई,राधिका मंडलोई,मनोहर दुबे समेत कई अन्य साहित्यकार और परिजन उपस्थित थे।

Translate »