अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ, रामलला को मिली विवादित जमीन

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नई दिल्ली/लखनऊ।
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। फैसले से जुड़ी हर जानकारी –
– यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत है, देश की एकता व सद्भाव बनाए रखने में सभी सहयोग करें, उत्तर प्रदेश में शांति, सुरक्षा और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
– पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। 

रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।- संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान, हम चाहते थे कि विवाद खत्म होना चाहिए। सभी मिलजुल कर भव्य राम मंदिर का निर्माण करें।
निर्णय को जय-पराजय के नजरिए से नहीं देखा जाए।- सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जाफराब जिलानी ने कहा कि हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि हम आगे की रणनीति तय करेंगे।- हिंदू महासभा के वकील वरूण कुमार सिन्हा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। हम इस फैसले के साथ है। सुप्रीम कोर्ट ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।- निर्मोही अखाड़े के वरिष्ठ पंच महंत धर्मदास ने कहा कि विवादित स्थल पर अखाड़े का दावा खारिज होने का कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि वह भी रामलला का ही पक्ष ले रहा था। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने रामलला के पक्ष को मजबूत माना है। इससे निर्मोही अखाड़े का मकसद पूरा हुआ है।- अजमेर दरगाह के दीवान जैनुअल आबेदीन अली खान ने अयोध्या मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है और लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह फैसला…– अयोध्या में रामलला का जीत। अयोध्या में राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ।
– सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थान पर माना रामलला का दावा। अर्थात मंदिर बनने का रास्ता साफ।- राम जन्मभूमि न्यास को मिलेगी जमीन।
– सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाने के निर्देश।- सुन्नी पक्ष में विवादित स्थान को मस्जिद घोषित करने की मांग की।

– केन्द्र सरकार बनाएगी ट्रस्ट। तीन माह में ट्रस्ट बनाए सरकार।-
जमीन पर रामलाल का दावा बरकरार

– मुस्लिमों को दूसरी जगह देने का आदेश।
– विवादित ढांचा गिराना कानून को तोड़ने जैसा।
– सुन्नी पक्ष में विवादित स्थान को मस्जिद घोषित करने की मांग की है।
– जमीन के 3 हिस्से किए जाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसलो को सही नहीं माना।
– हर मजहब के लोगों को बराबर सम्मान संविधान ने दिया है।
– दिसंबर 1949 तक हर शुक्रवार को होती थी नमाज।- बाहरी अहाते में 1885 तक हिन्दू पूजा करते थे।- मुस्लिम और हिन्दू पक्ष का दावा एक जैसा।- मुस्लिम पक्ष के पास जमीन पर विशेष कब्जा नहीं।
– यात्रियों के वृत्तांत और पुरातात्विक सबूत हिन्दुओं के पक्ष में।
– मुस्लिम जमीन पर अपना एकाधिकार साबित नहीं कर पाए।
– मुस्लिम पक्ष कब्जा साबित करने में नाकाम।
– अंग्रेजों के समय (18वीं सदी तक) तक नमाज का कोई सबूत नहीं।- मंदिर गिराकर मस्जिद बनाने का जिक्र नहीं। कानूनी आधार पर होगा मालिकाना हक का फैसला।- न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार विवादित भूमि सरकारी है।- हिन्दुओं की आस्था गलत होने के कोई प्रमाण नहीं।
– आस्था और विश्वास के आधार पर फैसला नहीं।
– सीता रसोई, सिंहद्वार और वेदी का जिक्र।
– अंग्रेजों ने दोनों हिस्से अलग रखने के लिए रेलिंग बनाई थी।
-खुदाई में जो मिला वह इस्लामिक ढांचा नहीं। एएसआई ने मस्जिद और ईदगाह का जिक्र नहीं किया।-रिपोर्ट में 12वीं सदी का मंदिर होने का जिक्र।-आस्था और विश्वास कोई विवाद नहीं हो सकता।
-हिन्दु्ओं की आस्था है कि अयोध्या में राम का जन्म हुआ था।
-जमीन पर विवाद का फैसला कानूनी आधार पर।
-अयोध्या में राम के जन्म के दावे का विरोध किसी ने भी नहीं किया।-एएसआई यह नहीं बता पाया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी।-हिन्दू पक्ष ने राम से जुड़े ऐतिहासिक ग्रंथों के पक्ष रखे।-हिन्दू आस्था गलत होने का कोई प्रमाण नहीं।- खुदाई में जो मिला वह इस्लामिक ढांचा नहीं। एएसआई ने मस्जिद और ईदगाह का जिक्र नहीं किया।- रिपोर्ट में 12वीं सदी का मंदिर होने का जिक्र।- खुदाई में मिले सबूतों को अनदेखा नहीं कर सकते।

– एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर होने की बात कही थी।- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पारदर्शिता के साथ हुआ।- बाबरी ‍मस्जिद खाली जमीन नहीं बनी थी।
– पुरातात्विक साक्ष्यों का मूल्यांकन करने की जरूरत।- निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा निर्मोही अखाड़ा सेवादार नहीं है।
– गोगोई ने कहा- फैसले में 30 मिनट का समय लूंगा।
– 22 दिसंबर 1949 को मूर्तियां रखी गईं-जज- मस्जिद कब बनी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
-चीफ जस्टिस ने कहा- शांति बनाए रखें। फैसले की कॉपी काफी मोटी बताई जा रही है।  -फैसले की कॉपी कोर्ट में लाई। फैसले कॉपी पर जजों ने किए हस्ताक्षर।-शिया-सुन्नी मामले में शिया बोर्ड की याचिका खारिज।- फैसले की कॉपी कोर्ट नंबर 1 में लाई गई।

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