भक्ति से ही ईश्वर की प्राप्ति -जया कृष्णा।

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भक्ति से ही ईश्वर की प्राप्ति -जया कृष्णा

दसई . प्रसिद्ध दिव्य जयंती धाम में भागवत कथा का आयोजन आरंभ हुआ। ग्राम बालोद में भागवत जी का जुलूस निकाला गया। जुलूस में बड़ी स ंख्या में ग्रामीण शामिल हुए ।जुलूस के जयंती धाम पहुंचने के साथ ही कथा का आरंभ हुआ । कथा में पहले ही दिन श्रद्धालु झूम उठे।
प्रकृति की सुरम्य वादियों में झर झर झरनों के बीच पहाड़ी में स्थापित मां जयंती देवी धाम इस समय बरसात के चलते किसी टापू सा लगता है । गर्मी भर पत्थर पर हरियाली लाने के सेवा समिति के प्रयास रंग लाने लगे हैं। प्राकृतिक वातावरण और मां का उपासना स्थल हो ऐसे में भागवत कथा निश्चित रूप से अमित पुण्य दाई है। व्यासपीठ पर विराजित जया कृष्णागिरी दंतोडिया वाले ने कथा का आरंभ करते हुए कहा कि जीते जी मोक्ष देने वाली अगर कोई कथा है तो वह श्रीमद्भागवत ही है । जीवन के संघर्षों और कठिनाइयों से बाहर होने की असली कला ही वास्तव में जीवन है जो भागवत रसके पान से आती है । आप घोर कलयुग में भाग्यशाली हो जो कथा अमृत पाने की जिज्ञासा लिया आए हो। सत्संग व्यक्ति को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है । जीवन में जो सतत धर्म साधना और सेवा करने लगा है उसका बेड़ा अवश्य पार होता है। सूत जी और शौनक जी के संवाद का उल्लेख करते हुए आपने कहा की भक्ति से ही मानव ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।
जयंती दिव्य धाम पर चल रही भागवत कथा में दूसरे दिन जया कृष्णा जी ने कहा कि भगवान तो भाव के भूखे हैं और जब उन्हें मन से पुकारो वे दौड़े चले आते हैं । दत्तात्रेय जी की कथा का वाचन करते हुए रोम-रोम गदगद हो जाता है यही ईश्वर की कृपा है । आप कथा को अपने गृहस्थ जीवन में उतारो और ईश्वर का भजन करो यही सत्संग सुनने का फल है।
उंडवा नदी के किनारे जयंती दिव्य धाम पर चल रही भागवत कथा में धीरे-धीरे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी है जबकि आज दूसरा ही दिन है । कथाकार कृष्णा जी ने कहा कि भगवान के 24 अवतार किसी ने किसी हेतु के लिए हुए हैं । अगर भगवान अवतार नहीं लेते तो पृथ्वी पर मानव का जीना दूभर हो जाता और अधर्म का ही राज रहता। धर्म की स्थापना के लिए ही ईश्वर ने विभिन्न अवतार लेकर आसुरी व्यक्तियों का नाश किया है ।आपने कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं इसलिए विदूरजी के घर पधारे । भगवान ने भक्ति को वरदान दिया था कि तेरे द्वारा जो भी मुझे पुकारेगा मैं उसके घर जाने में संकोच नहीं करूंगा चाहे वह किसी भी वर्ण का क्यों न हो?

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