तुम से मुझे क्या फायदा….? 25 से 30 वर्षीय महिला से बैंक अधिकारी ने कहा…! बैंकों में भी नही रही प्रदेश की महिलाए सुरक्षित… बैंक के नाम बदलने के साथ ही अधिकारियों की नियत एवं काम भी बदले मामला मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक की शाखा चौबाराधीरा का

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तुम से मुझे क्या फायदा….25 से 30 वर्षीय महिला से बैंक अधिकारी ने कहा बैंकों में भी नही रही प्रदेश की महिलाए सुरक्षित… बैंक के नाम बदलने के साथ ही अधिकारियों की नियत एवं काम भी बदले मामला मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक की शाखा चौबारा धीरा का

प्रिन्स बैरागी

देवास ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक अधिकारियों के व्यवहार एवं कार्यशैली किस तरह की है इस बात का नजारा देवास जिला मुख्यालय से केवल 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चौबारा धीरा में देखने को मिला हाल ही में नए नाम से जाने जाने वाली बैंक मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक के एक अधिकारी ने महिला से जोकि अपने स्वयं के खाते के रुपए निकालने बाबत बैंक में आई थी उससे कहा कि मुझे तुम से क्या फायदा…? अधिकारी के इस शब्द से ग्रामीण महिला रह गई सन्न , ओर घटना की जानकारी मीडिया को दी मुझे क्या मिलेगा या मुझे क्या फायदा…? इस शब्द के पीछे बैंक अधिकारी की नीयत पर उठ रह है सवाल। आखिर क्या रही बैंक अधिकारी की सोच कैसा चाहिए था फायदा…? हाल ही में भारत सरकार की संविलियन के तहत नर्मदा झबुआ बैंक 1 अप्रेल से नाम बदल कर मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक के नाम से रखा गया । और अब बैंक के अधिकारियों ने बैक के नाम के साथ साथ अपनी नियत भी बदली। पूरा मामला.. चौबारा धीरा से केवल कुछ ही दूरी पर स्थित खेड़ी राजपुर गांव का है। ग्रामीण महिला अपने स्वयं के बचत खाते के रुपए निकालने के लिये मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक की चौबारा धीरा स्थित शाखा में आई। जहां पर मौजूद अधिकारी भीलवारे द्वारा उक्त महिला के साथ अभद्र तरीके की भाषा का इस्तेमाल किया गया । भीलवारे द्वारा महिला से कहा गया कि तुम चाहे जब मुह उठाकर बैंक में चली आती हो । क्या मैं केवल तुम्हारे काम करने के लिए ही बैठा हूं , तुम यहां से अपना खाता बंद करवाकर किसी और बैंक में खाता खुलवा लो, और वैसे भी तुमसे मुझे आखिर क्या फायदा है…? इन शब्दों को सुनने के बाद महिला एकदम सन्न सी रह गई। और उसने बिना पैसे निकाले ही घर वापसी कर ली।महिला द्वारा इस बात की जानकारी अपने पति को दी गई ।जिसके बाद यह पूरा मामला मीडिया में आया। इस संदर्भ में कहीं ना कहीं यह बात तो खुल कर सामने आती है। कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकारी लोग अपने पद एवं रुतबे का अनैतिक लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। उक्त महिला मानसिक रूप से इतनी आहत हुई जोकि शब्दों में बता पाना शायद संभव नहीं होगा । इस बारे में जब संबंधित अधिकारी भीलवारे से चर्चा की गई तो वह भी ठीक से संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। और कहीं ना कहीं सवालों के घेरे में उलझते नजर आए। जिससे साफ नजर आया कि उक्त महिला द्वारा लगाये गए आरोपों में सत्यता नजर आई। सरकार ग्रामीण एवं गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए नित नए कदम उठा रही है वहीं दूसरी ओर भिलवारे जैसे सरकारी नुमाइंदे इन योजनाओं को पलीता लगाने पर तुले हैं। और भोली भाली ग्रामीण महिलाओं से अनर्गल और अनैतिक मांग तक करने से पीछे नहीं हटते । इस संबंध में जब मुख्य शाखा प्रबंधक एलडीएम श्री स्वामीनाथ से चर्चा की गई उन्होंने बताया कि मुझे मीडिया के द्वारा यह मामला संज्ञान में आया है ।जांच के उपरांत जो भी कार्यवाही होगी वह दोषी अधिकारी के खिलाफ की जाएगी। स्वामीनाथ द्वारा कही गई बात हर मामले में अधिकारी यही रटा रटाया जुमला कहते नजर आते हैं । मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक गोविंद उपाध्याय से जब इस मामले में चर्चा करना चाहि तो वह कन्नी काटते नजर आए। साथ यह बोले कि मैं अभी बाहर हूं और मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है । जब मैं आऊंगा तब इस मामले में संज्ञान लूंगा । कहीं ना कहीं श्री उपाध्याय की बातों से जाहिर हुआ कि वे भीलवारे की गंदी नियत का बचाव करते नजर आए। अब देखना यह है की भीलवारे के खिलाफ क्या कार्यवाही करके पीड़ित महिला के साथ न्याय केरेगे या फिरआर्थिक बजन से केवल जांच में ही मामला उलझ कर रह जायेगा। आखिर भीलवारे जैसे अधिकारी भोली भाली ग्रामीण महिलाओं से यूं ही कब तक फायदा उठाते रहेंगे…?

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