युवा चेतना शिविर एवं वार्षिक उत्सव का शुभारंभ

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युवा चेतना शिविर एवं वार्षिक उत्सव का शुभारंभ 
तीन दिवसीय शिविर 24 से 26 जनवरी 
विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए शिविर 
शिविर के पहले दिन चित्रकला, प्रश्नोत्तरी व निबन्ध प्रतियोगिता
         देवास । गायत्री शक्तिपीठ पर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी वार्षिक उत्सव में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा हैं ।
        गायत्री शक्तिपीठ जनसंचार विभाग के विक्रमसिंह चौधरी एवं विकास चौहान ने बताया कि युवा प्रकोष्ठ तत्वावधान में जिला स्तरीय युवा चेतना शिविर एवं वार्षिक उत्सव आयोजन के अन्तर्गत शहर के विभिन्न स्कूलों के बच्चों के रचनात्मक विकास के लिए कई रोचक प्रतिस्पर्धाएं हुई जिसमे निबंध, चित्रकला एवं प्रश्नोत्तरी  प्रमुख है । नन्हे मुन्ने बच्चों ने स्वच्छ भारत अभियान पर शानदार चित्रकला का प्रदर्शन किया साथ ही स्वच्छता अभियान पर बड़े बच्चों ने निबंध लिखा फिर हुई भारतीय संस्कृति के ज्ञान की प्रश्नोत्तरी जो सब बच्चों को खूब पसंद आई ।
    युवा चेतना शिविर का शुभारंभ सुबह 09 बजे देव संस्कृति विश्व विद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार की छात्रा दीक्षा साहू, स्वीकृति भट्ट व प्रज्ञा दुबे ने दीप प्रज्वलित कर देव पूजन किया ।
         आयोजन में देव संस्कृति विश्व विद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार की दीक्षा साहू ने संबोधित करते हुए कहा कि अपने जीवन में तनाव से हमेशा दूर रहे, तनाव ही अनेक परेशानी का कारण हैं वहीं प्रज्ञा दुबे ने हमेशा मुस्कराते रहने  की बात कही ।
         युवा प्रकोष्ठ के केशव पटेल  ने जानकारी देते हुए बताया कि शिविर के पहले दिन निबंध, चित्रकला एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता सम्पन्न हुई जिसमें बड़े उत्साह से बच्चों ने भाग लिया । विजेता बच्चों को 26 जनवरी पर पुरस्कृत किया जाएगा ।
 आयोजन में शहर के केरला पब्लिक स्कूल, होली लाइट, सेक्रेट हार्ट स्कूल, मा. वि. इटावा, हिमालय एकेडमी, ना. वि. म. क्र.01 सहित लगभग 25 स्कूल के बच्चों ने भाग लिया । युवा प्रकोष्ठ के प्रमोद निहाले ने आगामी जानकारी देते हुए कहा कि 25 जनवरी को होने वाले युवा चेतना शिविर में विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास, सभ्यता व संस्कार के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेष संबोधन होगा साथ ही प्रोजेक्टर पर चुनिंदा प्रेरणादाई फिल्म द्वारा भी विद्यार्थियों को समझाया जाएगा । शिविर में प्रतिस्पर्धाओं का संचालन युवा प्रकोष्ठ के धर्मेन्द्र कुशवाह ने किया और आभार गणेशप्रसाद व्यास ने माना ।
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