“पॉवर ऑफ पॉलिटिक्स”…में सिद्धांत छोड़ अमर्यादित हुए कांग्रेसी कार्यकर्ता…दूसरी बार दो मंत्रियों के कार्यक्रम में किया हंगामा।

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प्रिन्स बैरागी

*देवास*-लगातार 15 साल सत्ता से बेदखल रहने के बाद अचानक सत्ता में हुई वापसी को कांग्रेसी कार्यकर्ता पचा नही पा रहे है। लगातार एक के बाद एक ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे है कि ये सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि क्या ये वही गाँधीजी की कांग्रेस है जिनका मूल सिद्धांत अहिंसा, सयंम, ओर मर्यादा था। लेकिन विगत दिनों मंत्रियों के कार्यक्रम के दौरान जो कुछ देखने को मिला उससे तो यही लगता है कि सारे सिद्धांतो को कार्यकर्ताओ ने पोटली बांधकर कही विसर्जन कर दिया हो।जियोस की बैठक में सम्मिलित होने आए उच्च शिक्षा एवं जिले के प्रभारी मंत्री जीतू पटवारी के कार्यक्रम के दौरान भारी हंगामा ओर अव्यवस्था देखने को मिली। सरकार क्या बनी मानो कोई “अलादीन का चिराग” हाथ लग गया हो। सेल्फी लेने की होड़ हो या फिर स्वागत की सारी मर्यादा भूलकर बस मंच की ओर धावा बोल दिया। और बिना मंच टूटे ही लोग गिरने लगे।दूसरी ओर राजोदा के किसान नेता रविन्द्र चौधरी, औऱ श्रमिक नेता हिमांशु श्रीवास्तव जो समस्याओं को लेकर ज्ञापन देने आए थे उन्ही के साथ बदसलूकी ओर मारपीट वो भी सरेआम रोड़ पर। इतना कुछ भी काफी नही था,यह तक कि पुलिस कर्मियों ओर वरिष्ठ अधिकारियों तक से तेश में आकर बहसबाजी तक कि नोबत आ गई। 15 वर्षो का दबा हुआ गुबार रोड़ ओर इस तरह फुटेगा किसी को यकीन नही था…शायद यही वक्त है बदलाव का। कुल मिलाकर मंत्रियों के कार्यक्रम की जो गरिमा होना चाहिए वो सब कल तार तार नजर आयी। पुलिस प्रशासन भी बेबस ओर असहाय नजर आया वो भी ये सब देख कर आश्चर्यचकित थे।कि आखिर ये हो क्या रहा है।

ये सब पहली बार नही हो रहा है।अभी कुछ दिनों पूर्व भी जब लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा जिला जेल में गो माता पूजन का लिए गए थे एवं उसके बाद जिला अस्पताल में टीकाकरण कार्यक्रम के शुभारम्भ पर भी भारी हंगामा एव धक्का मुक्की का माहौल था।क्या यही सयंम ओर मर्यादा है। सेल्फी ओर भैया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने का इतना जुनून की ये भी भूल गए कि एक केबिनेट ओर प्रभारी मंत्री के कार्यक्रम की गरिमा क्या होती है। इस सब बात से तो यही दिखाई देता है कि इतने दिनों के बाद हमारी सत्ता आयी है हमारे भैया पॉवर में है तो दिखाना तो पड़ेगा ही।

सारी बातों को सोचने पर बस यही परिणाम निकलता है ।कि क्या ये वही सिद्धांत वादी कांग्रेसके कार्यकर्ता है या फिर समय और बदलाव के साथ कार्यकर्ताओ ने सिद्धांतो को भी बदल दिया है ने….

मालवा में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है…

अण वाटकिया के वाटकी मिली जाए…तो पाणी पी पी के पेट फोड़ी ले…!!

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